Uttarakhand News: उत्तराखंड में आयुष चिकित्सा क्षेत्र में बड़ा फैसला लिया गया है, जिसके तहत प्रदेश के 500 से अधिक आयुष डॉक्टरों के पंजीकरण रद्द किए जाएंगे. ये आदेश अपर सचिव आयुष, डॉ. विजय कुमार जोगदंडे द्वारा जारी किया गया है. आदेश में भारतीय चिकित्सा परिषद, उत्तराखंड के रजिस्ट्रार को निर्देश दिए गए हैं कि वे ऐसे सभी चिकित्सकों के पंजीकरण रद्द करें. जिनके पास बीएएमएस (बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी) या बीयूएमएस (बैचलर ऑफ यूनानी मेडिसिन एंड सर्जरी) के बजाय अन्य राज्यों के डिप्लोमा हैं.
उत्तराखंड राज्य गठन के बाद, राज्य की भारतीय चिकित्सा परिषद ने उत्तर प्रदेश के आयुष चिकित्सकों के पंजीकरण को वैध मानते हुए उन्हें उत्तराखंड में पंजीकृत किया था. उस समय का नियम यह था कि यूपी में पंजीकृत आयुष चिकित्सक उत्तराखंड में भी अपनी प्रैक्टिस जारी रख सकते थे. हालांकि, समय के साथ इस नियम का दुरुपयोग होने लगा. वर्ष 2019 से मार्च 2022 तक, उत्तराखंड में भारतीय चिकित्सा परिषद ने उन डिप्लोमा धारकों को भी पंजीकृत करना शुरू कर दिया, जिनके पास अन्य राज्यों के डिप्लोमा थे, लेकिन वे डिप्लोमा मान्यता प्राप्त नहीं थे.
प्रदेश सरकार ने लिया बड़ा फैसला
उत्तरांचल (संयुक्त प्रांत भारतीय चिकित्सा अधिनियम 1939) अनुकूलन एवं उपांतरण आदेश 2002 की धारा 27, 28, 29, 30 के तहत नए डिप्लोमाधारकों को भी पंजीकरण देने की प्रक्रिया शुरू हुई. वर्ष 2019 से 2022 तक 500 से अधिक आयुष और यूनानी डिप्लोमा धारकों को पंजीकरण दिया गया, जो अब विभिन्न स्थानों पर प्रैक्टिस कर रहे हैं. इनमें से अधिकांश चिकित्सकों के पास डीआईयूएम (डिप्लोमा इन यूनानी मेडिसिन) या डीआईएएम (डिप्लोमा इन आयुर्वेदिक मेडिसिन) जैसे डिप्लोमा थे, जिनकी मान्यता को लेकर कई विवाद उठे हैं.
इस मामले में केंद्रीय काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (CCIM) को कई शिकायतें मिलीं, जिनमें आरोप लगाया गया था कि उत्तराखंड में पंजीकृत कुछ आयुष चिकित्सकों के डिप्लोमा मान्यता प्राप्त नहीं हैं. CCIM ने अपनी जांच में यह भी पाया कि उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के कुछ आयुष संस्थान, जिनसे ये डिप्लोमा जारी किए गए थे, खुद ही वैध नहीं थे. सुप्रीम कोर्ट में भी इस संबंध में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें CCIM ने स्पष्ट कर दिया था कि उत्तराखंड का नियम केंद्रीय नियमों के विपरीत है.
आदेश और भविष्य की कार्रवाई
अपर सचिव आयुष, डॉ. विजय कुमार जोगदंडे ने इस निर्णय के आधार पर भारतीय चिकित्सा परिषद, उत्तराखंड को सभी 500 से अधिक आयुष चिकित्सकों के पंजीकरण तत्काल रद्द करने के निर्देश दिए हैं. यह आदेश विशेष रूप से उन चिकित्सकों पर लागू होगा, जिनके पास डीआईयूएम, डीआईएएम जैसे डिप्लोमा हैं, जो अब मान्य नहीं माने जा रहे हैं. इस फैसले से स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़ा बदलाव ला सकता है, क्योंकि इन डॉक्टरों पर कानूनी सवाल खड़े हो गए हैं.
इस आदेश से प्रदेश में आयुष चिकित्सा क्षेत्र में अस्थिरता की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, क्योंकि कई क्षेत्रों में चिकित्सकों की कमी हो सकती है। हालांकि, सरकार और भारतीय चिकित्सा परिषद का उद्देश्य प्रदेश में अवैध पंजीकरण को समाप्त कर मानक चिकित्सा सेवाएं सुनिश्चित करना है. सरकार इस स्थिति का समाधान निकालने के लिए जल्द ही वैकल्पिक व्यवस्था पर विचार कर सकती है, ताकि स्वास्थ्य सेवाओं पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े.
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