Uttarakhand Politics: लोकसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड सरकार ने की जरूरी नियुक्तियां, जानें- किसी मिली क्या जिम्मेदारी
Uttarakhand News: उत्तराखंड में बीजेपी ने अपने नेताओं को बड़ी सौगात दी है. 10 नेताओं को नए दायित्व सौंपे गए हैं. जिसमें पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ज्योति प्रसाद गैरोला को भी शामिल किया गया है.
Uttarakhand News: आगामी लोकसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड में बीजेपी अपनी कमर कसते नजर आ रही है. ऐसे में जहां एक ओर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राज्य में विदेशी निवेश को बढ़ाने के लिए लंदन में इंवेस्टर समिट में हिस्सा लेने पहुंचे हैं. वहीं पार्टी ने अपने वफादार नेताओं को खुश करने के लिए उनके नए दायित्व सौंपे हैं. जिसमें तकरीबन 10 नेताओं को शामिल किया गया है.
महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी ने जानकारी देते हुए बताया कि यह फैसला शासन की ओर से जनहित में लिया गया है और इसके तहत पार्टी के दस वफादार नेताओं को दायित्व सौंपा गया है. जिसमें उत्तराखंड के पूर्व बीजेपी अध्यक्ष ज्योति प्रसाद गैरोला को बीस सूत्रीय कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति (राज्य स्तरीय) में उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी गई है. वहीं रमेश गडिया को उत्तराखण्ड राज्य स्तरीय जलागम परिषद का उपाध्यक्ष बनाया गया है.
मुफ्ती शमून कासमी बने मदरसा शिक्षा परिषद के अध्यक्ष
लिस्ट के अनुसार उत्तराखण्ड संस्कृत साहित्य और कला परिषद के उपाध्यक्ष पद पर मधु भट्ट को नई जिम्मेदारी मिली है. वहीं उत्तराखण्ड मदरसा शिक्षा परिषद का अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी को बनाया गया है. उत्तराखण्ड राज्य बीज और जैविक उत्पाद प्रमाणीकरण संस्था का अध्यक्ष बलराज पासी बने हैं. इस लिस्ट में शामिल सुरेश भट्ट को राज्य स्तरीय राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य और अनुश्रवण परिषद में उपाध्यक्ष पद मिला है.
कैलाश पंत को मिली खास जिम्मेदारी
इस क्रम में अनिल डब्बू को कृषि उत्पादन और विपणन बोर्ड (मंडी) का अध्यक्ष चुना गया है. उत्तराखण्ड राज्य सलाहकार श्रम संविदा बोर्ड का अध्यक्ष कैलाश पंत को बनाया गया है. वहीं शिव सिंह बिष्ट प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना राज्य स्तरीय अनुश्रवण परिषद् के उपाध्यक्ष बनाए गए हैं तो हरिराम टम्टा परम्परागत शिल्प उन्नयन संस्था का अध्यक्ष नारायण राम टम्टा को चुना गया है.
फिलहाल यह कयास लगाए जा रहे थे कि पार्टी तकरीबन 40 लोगों को दायित्व सौंप सकती है. वहीं अभी मात्र 10 वरिष्ठ नेताओं को ही दायित्व सौंपा गया है. जानकारी के अनुसार लंबे समय से दायित्व के बंटवारों को लेकर चर्चा हो रही थी. लगभग एक साल बाद नेताओं को यह दायित्व सौंपे गए हैं.
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