Dehradun News: खनन विभाग में जो हो जाय वही कम है. विभाग के एक आदेश से मची खलबली से खनन से जुड़े व्यापर जगत में खन-खन की गूंज खूब सुनाई पड़ रही है. हुआ यूं कि पिछले दिनों उत्तराखंड (Uttarakhand) सरकार ने कैबिनेट से खनन नीति में बदलाव करवाकर नवीनीकरण के सारे अधिकार निदेशालय को ट्रांसफर कर दिए. यानि स्टोन क्रशर, मोबाइल स्टोन क्रशर, स्क्रीनिंग प्लांट, प्लांट परिसर में उप खनिज भण्डारण के लाइसेंस का नवीनीकरण करने का अधिकार खनन निदेशालय के पास होगा.
हैरत तब हुई जब एक अन्य आदेश के तहत नैनीताल के खनन अधिकारी राजपाल लेघा को निदेशालय में अतिरिक्त चार्ज देते हुए नवीनीकरण के कार्य का नोडल अधिकारी बनाकर बड़े अफसरों को हाशिये पर डाल दिया गया. जबकि निदेशालय में अपर निदेशक से लेकर तमाम अफसर मौजूद हैं. चर्चा यह है कि खनन विभाग के सचिव और खनन निदेशक अब नाम भर के रह गए हैं सब कुछ नोडल अधिकारी ही करेंगे, हालांकि वह फाइल तैयार करके निदेशक के सामने प्रस्तुत करेंगे लेकिन सबकुछ औपचारिक होगा.
सारे अधिकार निदेशालय को दे दिए गए
अभी तक उत्तराखंड में स्टोन क्रशर, मोबाइल स्टोन क्रशर, स्क्रीनिंग प्लांट, प्लांट परिसर में उप खनिज भण्डारण के लाइसेंस का नवीनीकरण का कार्य शासन से होता था. शासन का मतलब, फाइल जिलाधिकारी के माध्यम से आएगी और निदेशालय उसका परिक्षण करके सचिवालय भेजेगा. सचिवालय में अनुभाग से लेकर प्रमुख सचिव स्तर तक फाइल का अवलोकन करने के बाद अनुमोदन के लिए खनन मंत्री (मुख्यमंत्री) को भेजा जाता था. उसके बाद नवीनीकरण की स्वीकृति मिलती थी. लेकिन मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद ये सारे अधिकार निदेशालय को दे दिए गए.
यहां तक तो ठीक था लेकिन एक अन्य आदेश जारी करके विशेष तौर पर नैनीताल के खनन अधिकारी राजपाल लेघा को निदेशालय में इस कार्य के लिए नोडल अफसर बना दिया गया. और लेघा के पास नैनीताल के खनन अधिकारी का भी चार्ज रहेगा और निदेशालय में यह महत्वपूर्ण कार्य भी रहेगा, इस बात को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं कि सचिव और निदेशक दोनों वरिष्ठ आईएएस अफसर हैं, निदेशालय में कई और भी अफसर हैं, फिर जो काम अभी तक शासन करता था वो इतने जूनियर अफसर को किस वजह से दिया गया है. इसके पीछे सरकार की मंशा आखिर क्या है?
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