Dehradun News: उत्तराखंड (Uttarakhand) में देश का सबसे सख्त नकल विरोधी कानून लागू हो गया है. राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा ( भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) अध्यादेश 2023 पर मुहर लगा दी है. राजभवन ने 24 घंटे के भीतर यह कदम उठाया है. अब भर्ती परीक्षा में पेपर लीक, नकल कराने या अनुचित साधनों में लिप्त पाए जाने पर उम्रकैद की सजा मिलेगी. साथ में 10 करोड़ तक का जुर्माना भी देना पड़ेगा और गैर जमानती अपराध में दोषियों की संपत्ति जब्त कर ली जाएगी.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी का सिलसिला जारी रहने से युवाओं को आश्वस्त करते हुए नकल विरोधी अध्यादेश को बीते दिन मंजूरी देकर राजभवन भिजवाया था. जिस पर मुख्यमंत्री ने यह भी कहा था कि अब होने वाली भर्ती परीक्षाएं इसी अध्यादेश के अंतर्गत होंगी. अध्यादेश लागू होने की तिथि से ही यह प्रभावी होगा. अध्यादेश में संगठित होकर नकल कराने या अनुचित साधनों में लिप्त पाए जाने वाले मामलों में आजीवन कैद की सजा और 10 करोड़ तक के जुर्माने का प्रावधान है. इसके साथ ही आरोपियों की संपत्ति भी जब्त करने की व्यवस्था इस में की गई है.
इस नकल विरोधी कानून पर सियासत भी तेज हो गई है, बीजेपी जहां तारीफ कर रही है तो वहीं कांग्रेस सवाल खड़े करने का काम कर रही है. कैबिनेट मंत्री प्रेम चन्द्र अग्रवाल का कहना है कि जो वादा युवाओं से सरकार ने किया था वो पूरा हो चुका है. सरकार की मंशा साफ है कि युवाओं को पारदर्शी परीक्षाओं का माहौल दिया जाएगा ताकि उनका भविष्य उज्जवल हो सके.
दंड को लेकर ये है प्रावधान
- यदि कोई व्यक्ति संगठित रूप से परीक्षा कराने वाली संस्था के साथ षडयंत्र करता है, तो आजीवन कारावास तक की सजा और 10 करोड़ रूपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया.
- यदि कोई परीक्षार्थी प्रतियोगी परीक्षा में खुद नकल करते हुए या अन्य परीक्षार्थी को नकल कराते हुए पाया जाता है तो उसके लिए तीन साल का जेल और न्यूनतम पांच लाख के जुर्माने का प्रावधान किया गया.
- यदि वह परीक्षार्थी दोबारा अन्य प्रतियोगी परीक्षा में दोषी पाया जाता है, तो न्यूनतम दस साल के कारावास और न्यूनतम 10 लाख जुर्माने का प्रावधान किया गया.
- यदि कोई परीक्षार्थी नकल करते हुए पाया जाता है तो आरोप पत्र दाखिल होने की तारीख से दो से पांच साल के लिए डिबार करने का प्रावधान किया गया
- दोषसिद्ध ठहराए जाने की दशा में दस साल के लिए समस्त प्रतियोगी परीक्षाओं से डिबार किए जाने का प्रावधान किया गया.
- अनुचित साधनों के इस्तेमाल से अर्जित संपत्ति की कुर्की की जाएगी.
- इस अधिनियम के अन्तर्गत अपराध संज्ञेय, गैर जमानती और अशमनीय होगा.
विपक्ष ने सरकार को घेरा
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि ये अपने द्वारा किए गए कुकृत्य को छिपाने के लिए प्रयास हैं. निर्भया कांड में एक बहुत गंभीर कानून बना, जिससे रेप रोके जा सकें, लेकिन कलात्कार नहीं रुके, केवल कानून बनाने से किसी चीज का इलाज नहीं होता. घोटालों को लेकर कई कानून बने हैं. मेरा कहना है कि ये केवल आंख में धूल झोंकने का काम है. देश में 2 हजार से ज्यादा कानून हैं, उसके बाद भी अपराध नहीं रुके हैं, तो केवल कानून बनाकर इतिश्री कर लेना ठीक नहीं हैं, जो युवाओं की मांग है सरकार को उस ओर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए.
प्रदेश के पूर्व सीएम हरीश रावत का कहना है कि क्या ये कानून पटवारी भर्ती घोटाले पर भी लागू होगा, क्या ये कानून उनको भी दंडित करेगा जिन्होंने पीसीएस मेन इत्यादि में पेपर लीक किए हैं, क्या ये और जो परिक्षाओं में पेपर लीक हुए हैं उन पर भी लागू होगा. क्या ये इन्शयॉर करेगा कि जिन लोगों ने इस समय घोटाले कर रखे हैं, पेपर बेच रखे हैं वो इम्तेहान नहीं दे पाएंगे. एक तरफ वो लोग होंगे जिनके पास पूरा परीक्षा पत्र होगा और दूसरी तरफ रात दिन तैयारी करके परीक्षा देने वाले होंगे.
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