उत्तराखंड में आपदाओं से बचाएगा, "मल्टी-हजार्ड अर्ली वार्निंग सिस्टम", विश्व बैंक करेगा सहयोग
Uttarakhand News: राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण आपदा संभावित इलाकों में चेतावनी प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए "मल्टी-हजार्ड अर्ली वार्निंग सिस्टम" विकसित कर रहा है. विश्व बैंक करेगा मदद.
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Uttarakhand News: उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) आपदा के खतरों की समय पर सूचना प्राप्त करने और इसे लोगों तक पहुंचाने के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है. इसके तहत राज्य में आधुनिक तकनीकों से सुसज्जित प्रणाली विकसित की जा रही है. विश्व बैंक पोषित यू-प्रिपेयर योजना के अंतर्गत इस व्यवस्था को लागू किया जाएगा.
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण आपदा संभावित इलाकों में चेतावनी प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए "मल्टी-हजार्ड अर्ली वार्निंग सिस्टम" विकसित कर रहा है. यह प्रणाली भूस्खलन, भूकंप, बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के खतरों को पहले से भांपकर स्थानीय लोगों को सतर्क करेगी. इसके लिए राज्य में आपातकालीन सूचना केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं. ये केंद्र खतरों की निगरानी कर जानकारी सीधे प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचाएंगे.
यू-प्रिपेयर योजना का उद्देश्य आपदा से होने वाले नुकसान को कम करना
यू-प्रिपेयर योजना के तहत आपदा प्रबंधन से जुड़ी संस्थाओं और पूर्व सूचना देने वाली एजेंसियों के साथ अनुबंध किया जाएगा. इन एजेंसियों को उनकी सेवाओं का भुगतान तभी किया जाएगा जब वे सटीक और समय पर सूचना उपलब्ध कराएंगी. इस प्रणाली का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी आपदा की स्थिति में नुकसान को कम किया जा सके.
मल्टी-हजार्ड अर्ली वार्निंग सिस्टम से जुड़े सभी उपकरण और डेटा केंद्र राज्य के आपातकालीन सूचना केंद्र से जुड़े रहेंगे.आपदा का खतरा मंडराते ही सायरन बजाकर स्थानीय लोगों को सतर्क किया जाएगा. इस प्रणाली के तहत भूस्खलन, बाढ़ और भूवैज्ञानिक गतिविधियों की निगरानी के लिए संवेदनशील इलाकों में विशेष उपकरण लगाए जाएंगे.
उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा से जान-माल का भारी नुकसान होता है
उत्तराखंड में मानसून के दौरान भूस्खलन, बाढ़ और बादल फटने की घटनाओं से हर साल जान-माल का भारी नुकसान होता है. आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सचिव विनोद कुमार सुमन ने कहा कि इस योजना का उद्देश्य आपदाओं से जुड़ी घटनाओं की पूर्व सूचना देकर लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है. उत्तराखंड सरकार राज्य में होने वाले आपदाओं से निपटने के लिए नई नई तकनीकों पर काम कर रहा. इन तकनीक की सहायता से आपदा का पूर्वानुमान होने के साथ इसके नुकसान को कम करने पर जोर दिया जा रहा है.
इस प्रणाली को विश्व बैंक के सहयोग से विकसित किया जा रहा है. इसमें संभावित खतरों की पहचान और जोखिम को कम करने के लिए उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा. सूचना के अभाव में आपदाओं के दौरान होने वाले नुकसान को कम करने के लिए यह कदम अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जा रहा है.उत्तराखंड जैसे आपदा-प्रवण क्षेत्र में यह योजना आपदा प्रबंधन को एक नई दिशा देगी. सटीक और समय पर चेतावनी मिलने से न केवल जनहानि को रोका जा सकेगा, बल्कि राहत और बचाव कार्यों को भी प्रभावी बनाया जा सकेगा.
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