देहरादून: मानसून सीजन की शुरुआत के साथ ही उत्तराखंड में आपदाओं का दौर भी शुरू हो गया है. शुरुआती दौर में कई ऐसी घटनाएं हो गई हैं, जो लोगों के लिए आफत बन चुकी हैं. खासकर पर्वतीय जिले मानसून सीजन में सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं, लेकिन इस बार आपदा प्रबंधन विभाग ने आपदाओं की घटनाओं के दौरान लोगों को राहत देने के लिए खास इंतजाम किए हैं. मानसून सीजन में होने वाली आपदाओं के दौरान राहत और बचाव कार्य के लिए दो हेलीकॉप्टर 24 घंटे मौजूद रहेंगे.


दो हेलीकॉप्टर किये गए हायर


उत्तराखंड में अचानक आने वाली बाढ़ की जद में करीब आठ लाख से ज्यादा आबादी है. ये आंकलन प्रदेश में विश्व बैंक की मदद से किए गए एक अध्ययन में सामने आया था, इसलिए आपदा प्रबंधन विभाग ने आपदाओं की घटनाओं से राहत और बचाव के लिए इस बार दो हेलीकॉप्टर हायर किये हैं. हालांकि, ये इंतजाम प्रदेश में होने वाली घटनाओं के सापेक्ष पर्याप्त नहीं है, लेकिन फिर भी लोगों को तत्काल राहत देने के लिए इसे हल्की सहायता जरूर कह सकते हैं. राहत और बचाव कार्यों के लिए हायर किए गए हेलीकॉप्टर एक कुमाऊं के पिथौरागढ़ और दूसरा गढ़वाल के गौचर में मौजूद रहेगा. अचानक आने वाली आपदाओं के दौरान लोगों को राहत और बचाव कार्य  करेंगे. 24 घंटे तैयार रहने वाले इन हेलीकॉप्टरों में सभी तरह की सुविधाएं मौजूद है. आपदा प्रबंधन राज्यमंत्री धन सिंह रावत का कहना है कि दो हेलीकॉप्टर राहत और बचाव के लिए हायर किए गए, जिनके माध्यम से प्रदेश में होने वाली आपदाओं के दौरान तत्काल लोगों को राहत और बचाव में सहायता मिल सकेगी.


एयर एबुलेंस का सपना अधूरा


उत्तराखंड में एयर एंबुलेंस की दरकार पिछले लंबे समय से बनी हुई है. राज्य सरकार केंद्र सरकार से कई बार एयर एंबुलेंस के लिए गुहार लगा चुकी है ,लेकिन राज्य को आज तक एंबुलेंस नहीं मिल पाई. हाल ही में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भी केंद्र सरकार से राज्य के लिए दो एंबुलेंस देने का आग्रह किया था, लेकिन केंद्र सरकार ने इस पर अनुमति नहीं दी है. वहीं, आपदा प्रबंधन राज्यमंत्री धन सिंह रावत ने भी एयर एंबुलेंस को लेकर केंद्र सरकार में दस्तक दी थी, लेकिन फिलहाल एयर एंबुलेंस के लिए न तो केंद्र और न ही राज्य सरकार के कदम आगे बढ़ पा रहे हैं.


बढ़ रहा खतरा


उत्तराखंड में पिछले कुछ समय से मौसम बदलाव के कारण अतिवृष्टि और अधिक बारिश या ग्लेशियर में बन रही झीलों के टूटने से आपदा के मामले बढ़ रहे हैं. उत्तराखंड में दो बड़ी घटनाएं केदारनाथ में 2013 में आई. आपदा और चमोली के ऋषिगंगा में आई तबाही. यही वजह बताया गया था. भूकंप, बाढ़, अतिवृष्टि, भूस्खलन या फिर अत्यधिक बारिश से होने वाली तबाही उत्तराखंड के लिए हमेशा खतरा बना रहता है. मौसम विभाग से लेकर भू- वैज्ञानिक वक्त रहते आगाह भी करते हैं, लेकिन सरकार के पास पर्याप्त व्यवस्था ना होना लोगों के लिए जान-माल का खतरा बन जाता है.


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