गंगा नदी की स्वच्छता में उत्तराखंड का ठोस योगदान, सरकार ने उठाए ये कदम
गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर है. उत्तराखंड सरकार ने गंगा की निर्मलता और अविरलता बनाए रखने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं.
Ganga River In Uttarakhand: गंगा नदी की स्वच्छता और संरक्षण के लिए उत्तराखंड सरकार द्वारा किए गए प्रयासों ने फिर से अपनी गंभीरता और प्रतिबद्धता को सिद्ध किया है. गंगोत्री क्षेत्र में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) के पानी की गुणवत्ता को लेकर उठाए गए सवालों पर जांच रिपोर्ट्स ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकार गंगा की निर्मलता बनाए रखने के प्रति पूरी तरह समर्पित है. ECON Laboratory & Consultancy द्वारा किए गए परीक्षणों में STP का जल गुणवत्ता मानकों के अनुरूप पाया गया है.
हाल ही में गंगोत्री के STP में जल गुणवत्ता की जांच के लिए पुनः परीक्षण करवाया गया, जिसमें पाया गया कि जल राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) के निर्धारित मानकों पर खरा उतरता है. उत्तराखंड जल संस्थान ने इस मामले में ठोस कदम उठाते हुए जल परीक्षण प्रक्रिया में किसी भी असंगति की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं. साथ ही यह सुनिश्चित किया गया है कि भविष्य में जल शोधन प्रक्रियाएं और भी सुदृढ़ हों.
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गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर है. उत्तराखंड सरकार ने गंगा की निर्मलता और अविरलता बनाए रखने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं. राज्य में 53 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स संचालित हो रहे हैं, जिनकी नियमित निगरानी की जाती है. जहां भी किसी प्रकार की कमी पाई जाती है, वहां तुरंत सुधारात्मक कार्रवाई की जाती है.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है. सरकार का यह दृष्टिकोण न केवल वर्तमान, बल्कि भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है.
उत्तराखंड सरकार ने गंगा की स्वच्छता को प्राथमिकता देते हुए कई सुधारात्मक कदम उठाए हैं:
1. उन्नत सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स: सभी 53 ट्रीटमेंट प्लांट्स की नियमित समीक्षा और आधुनिक तकनीकों के उपयोग पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.
2. निगरानी तंत्र का सुदृढ़ीकरण: जल डिस्चार्ज की सख्ती से निगरानी के लिए डिजिटल प्रणाली लागू की जा रही है.
3. जनजागरूकता अभियान: गंगा की स्वच्छता के महत्व को समझाने के लिए स्थानीय समुदायों के साथ बड़े पैमाने पर अभियान चलाए जा रहे हैं.
4. नवीन तकनीकों का उपयोग: जल शोधन प्रक्रियाओं में अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है.
5. स्थानीय सहभागिता: गंगा सफाई अभियानों में स्थानीय संगठनों और नागरिकों को शामिल कर सामूहिक प्रयास किए जा रहे हैं.
गंगा जल की गुणवत्ता पर सवाल उठने के बाद, सरकार ने पारदर्शिता दिखाते हुए सभी आंकड़ों और जांच रिपोर्ट्स को सार्वजनिक किया. इसके साथ ही, जल संस्थान ने पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ मिलकर जल परीक्षण की प्रक्रिया को और अधिक विश्वसनीय बनाने के लिए ठोस प्रयास किए.
सरकार ने जनता से अपील की है कि गंगा की स्वच्छता बनाए रखने में वे अपनी भूमिका निभाएं. गंगा को स्वच्छ रखना केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह सभी नागरिकों का कर्तव्य है. जल संसाधनों के प्रति जागरूकता और उनके संरक्षण में हर व्यक्ति का योगदान महत्वपूर्ण है.