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Uttarakhand: उत्तराखंड सरकार ग्लेशियर्स के अध्ययन के लिए भेजेगी टीम, क्या बोले साइंटिस्ट?
उत्तराखंड सरकार ग्लेशियरों के अध्ययन के लिए एक टीम भेजने वाली है. जो कि कितना ग्लेशियर पिघल रहा है उसका अध्ययन करेंगे. वहीं इन ग्लेशियरों से कितनी झीले बनेगी. इसकी भी जानकारी ये दल लेकर आएगा.
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Uttarakhand News: उत्तराखंड में ग्लेशियर की हालत ठीक नहीं है. उत्तराखंड में ग्लेशियर हर साल 15 से 20 मीटर तक पिघल रहे है, जो कि खतरे का संकेत है. इसको लेकर एबीपी लाइव ने खबर चलाई थी. वाडिया इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर डॉक्टर साईं ने बताया था कि ग्लोबल वार्मिंग और इंसानों का बढ़ता दखल ग्लेशियरों के लिए खतरा बनता जा रहा है. हर साल 15 से 20 मीटर तक ये ग्लेशियर पिघल रहे है, जो कि एक बड़े खतरे का संकेत है.उत्तराखंड राज्य सरकार अब इन ग्लेशियरों के अध्ययन के लिए एक टीम बना कर ग्लेशियरों पर भेजने वाली है ताकि इनका सही से परीक्षण हो सके.
आपको बता दें कि उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन सचिव डॉ. सिन्हा ने बताया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालयी ग्लेशियरों के लिए भी खतरा उत्पन्न हो रहा है. इसलिए इनका अध्ययन भी जरूरी है. उन्होंने बताया कि ग्लेशियर और उनके आस पास बनी झीलों का अध्ययन करने के लिए जल्द एक दल बनाया जाएगा. जो इन ग्लेशियर और झीलों का अध्ययन करने जाएगा. इससे हमें सही और सटीक जानकारी मिल पाएगी कि ग्लेशियर कैसे पिघल रहे है या कितने पिघल रहे है. साथ ही ग्लेशियरों को पिघलने से जो झीलें बनी है. इन सब की जानकारी ये दल लेकर आएगा.
यूएसडीएमए देगा सेटेलाइट फोन
यूजेवीएनएल के अधिशासी निदेशक पंकज कुलश्रेष्ठ ने बताया कि उन्होंने सेटेलाइट फोन भी खरीद लिए हैं. आपदा के समय यदि संचार व्यवस्था ठप हो जाए तो इनसे संवाद करने में बड़ी मदद मिलेगी. सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि यदि और सेटेलाइट फोन की जरूरत हो तो यूएसडीएमए से ले सकते हैं. उन्होंने बांधों के पास उपलब्ध सेटेलाइट फोन के नंबर भी यूएसडीएमए के कंट्रोल रूम से साझा करने को कहा.
विष्णुप्रयाग बांध परियोजना की एसओपी उपलब्ध कराएं
सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. सिन्हा ने जेपी ग्रुप की विष्णुप्रयाग बांध परियोजना के प्रतिनिधियों को सख्त हिदायत दी कि वे जल्द से जल्द अपनी एसओपी, इमरजेंसी एक्शन प्लान और शैडो कंट्रोल यूएसडीएमए के राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के साथ साझा करने को कहा. यूएसडीएमए की मौसम विशेषज्ञ डॉ. पूजा राणा ने बताया कि शैडो कंट्रोल में बांध के साथ-साथ यूएसडीएमए के कंट्रोल रूम से भी संचालन किया जा सकता है.
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