देहरादून: उत्तराखंड में 30 जून से मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना की शुरुआत होने जा रही है. योजना की शुरुआत मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत करेंगे, जिसका शुभारंभ प्रदेश के सभी 13 जिलों में किया जायेगा. महिला सशक्तिकरण और बाल विकास की दिशा में राज्य सरकार एक बड़ा कदम माना जा रहा है.


वर्चुअल जुड़ेंगे लाभार्थी 


30 जून से शुरू हो रही मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना से लाभार्थियों को पहले चरण में वर्चुअल जोड़ा जायेगा, जिसके लिए अभी तक तक़रीबन 16 हजार से ज्यादा आवेदन हो चुके हैं. योजना के शुभारम्भ के दौरान 16,929 लाभर्थियों को वर्चुअल जोड़कर उन्हें महालक्ष्मी किट दी जाएगी. योजना के शुभारम्भ के दौरान प्रदेश के सभी जिलों में कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और बाल विकास राज्य मंत्री रेखा आर्य देहरादून में योजना का शुभारम्भ करेंगे. 


किसको मिलेगा लाभ 


योजना का मुख्य उद्देश्य प्रसव के दौरान माँ और शिशु कन्या को लाभ देना है. योजन के मधयम से मां और शिशु कन्या को एक किट उपलब्ध कराई जाएगी, जिसमे माँ और बच्चे के लिए सभी जरूरी सामान होगा. किट में वो सभी चीजे होंगी जो प्रसव के दौरान जरूरी होती है. अक्सर ये देखा गया है कि कन्या का जन्म होने पर जच्चा-बच्चा की देख भाल में उपेक्षा की जाती है, इसी खाई को पाटने के लिए मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना की शुरुआत की जा रही है. 


आवेदन के लिए जरूरी डाक्यूमेंट
योजना का लाभ लेने के लिए आंगनवाड़ी केन्द्रों पर पंजीकरण करना होगा. पंजीकरण के बाद ही आपको योजना का पूरा लाभ मिल सकेगा, जिसके लिए माता-शिशु कार्ड की प्रति, संस्थागत प्रसव प्रमाण पत्र, या आशा वर्कर द्वारा जारी प्रमाण पत्र, परिवार रजिस्ट्री की प्रति, आयकरदाता न होने का प्रमाण पत्र जैसे डाक्यूमेंट होने चाहिए. 


क्या कहा महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री ने 


महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास राज्य मंत्री रेखा आर्य ने बताया कि, योजना का जी ओ अप्रैल में जारी हो चुका था. लेकिन कोविड की वजह से योजना शुरू नहीं हो पाई थी, अब इस योजना की शुरुआत की जा रही है जो महिला सशक्तिकरण की दिशा में  काफी कारगर साबित होगी. जिसमें प्रसव के दौरान महिलाओं और कन्या शिशु को किट के माध्यम से जरूरी सामान उपलब्ध कराए जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, लिंगानुपात में आ रही कमी की दिशा में भी योजना महत्वपूर्ण साबित होगी. उत्तराखंड में बालिकाओं का अनुपात एक हजार बालकों पर 950 बालिकाओं  का है. उन्होंने कहा कि महालक्ष्मी योजना के माध्यम से इस अनुपात को बराबर-बराबर किया जाएगा.


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