उत्तराखंड में शुरू हुआ भूमि सुधार का नया अध्याय, यहां अब हर जमीन को मिलेगी यूनिक आईडी
Unique Land ID in Uttarakhand: उत्तराखंड सरकार ने भूमि सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है. इस योजना को पूरा करने के लिए प्रदेश सरकार ने दिसंबर 2024 तक का लक्ष्य तय किया है.
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Uttarakhand News Today: उत्तराखंड सरकार ने भूमि सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है. इसके तहत राज्य के राजस्व विभाग ने सभी भूमि पार्सल के लिए यूनिक आईडी देने की योजना पर काम शुरू कर दिया है. यह यूनिक आईडी, जिसे 'विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या' नाम दिया गया है, राज्य की हर भूमि को एक विशेष पहचान देगी.
इस विशेष आईडी के जरिए संबंधित भूमि के बारे में पूरी जानकारी डिजिटल रूप में उपलब्ध होगी. राजस्व विभाग ने अब तक 3 हजार से अधिक गांवों में इस योजना का कार्य को पूरा कर लिया है. उत्तराखंड सरकार ने दिसंबर तक पूरे राज्य में इस कार्य को पूरा करने का लक्ष्य तय किया है.
यूनिक आईडी में क्या है खास?
अभी तक भूमि की जानकारी खसरा और खतौनी के माध्यम से प्राप्त होती थी, लेकिन अब हर भूमि को एक खास यूनिक आईडी देने की योजना तैयार की गई है. इस योजना को केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के सहयोग से कार्यान्वित किया जा रहा है.
इस यूनिक आईडी के जरिए भूमि का स्थान, उसके देशांतर (Longitude) और अक्षांश (Latitude) निर्देशांक, भूस्वामी की जानकारी और भूमि का पूरा विवरण आसानी से उपलब्ध होगा.
डिजिटल मैप से जोड़ी जाएगी जानकारी
यह पूरी प्रक्रिया एक सॉफ्टवेयर के माध्यम से की जा रही है, जिसमें डिजिटल मैप का उपयोग किया जा रहा है. डिजिटल मैप में प्रत्येक खेत का नंबर और उसके देशांतर और अक्षांश निर्देशांक को मिलाकर विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या तैयार की जाती है.
इस प्रक्रिया के तहत भूमि की स्थिति और आकार से लेकर उसके स्वामित्व तक की सारी जानकारी एक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होगी. इससे भूमि विवादों और धोखाधड़ी के मामलों में भी कमी आने की संभावना है, क्योंकि भूमि का सटीक विवरण आसानी से देखा जा सकेगा.
3 हजार गांवों की यूनीक आईडी तैयार
उत्तराखंड के 16 हजार से अधिक गांवों में इस योजना को लागू किया जाना है. अब तक 3 हजार से अधिक गांवों के लिए भूमि की यूनिक आईडी तैयार की जा चुकी है, हालांकि इसे अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है.राजस्व विभाग के अनुसार, दिसंबर 2024 तक इस कार्य को पूरे राज्य में पूरा कर लिया जाएगा.
राजस्व विभाग के अनुसार, भविष्य में सभी भूमि की यूनिक आईडी सार्वजनिक होने के बाद किसी भूमि के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए खसरा- खतौनी या विभागीय वेबसाइट की मदद लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इस यूनिक आईडी के जरिये भूमि की पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त की जा सकेगी,
'अंश निर्धारण की जानकारी भी उपलब्ध'
राजस्व विभाग की योजना केवल भूमि की यूनिक आईडी तक सीमित नहीं है. विभाग आगे चलकर प्रत्येक भूमि के अंश निर्धारण से संबंधित जानकारी भी ऑनलाइन उपलब्ध कराने की योजना बना रहा है.
इससे भूमि के हिस्सेदारों की जानकारी और उनके स्वामित्व का भी पूरा विवरण मिल सकेगा. राजस्व विभाग के सचिव एसएन पांडे ने बताया कि इस योजना पर तेजी से काम किया जा रहा है और यह भूमि सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा.
भूमि रिकॉर्ड देखने में होगी आसानी
राज्य के भूमि रिकॉर्ड सिस्टम को डिजिटलाइज करने पर यह प्रक्रिया और मजबूत करेगी और इसको पारदर्शी बनायेगी. किसी भी भूमि की जानकारी प्राप्त करने के लिए यूनिक आईडी ही काफी होगी. इसके अलावा यह प्रक्रिया भू-संपत्ति विवादों को सुलझाने और जमीन से संबंधित फर्जीवाड़े को रोकने में मददगार साबित होगी.
राजस्व विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, भूमि की यूनिक आईडी का इस्तेमाल आने वाले समय में कई अन्य सरकारी योजनाओं और परियोजनाओं के साथ भी जोड़ा जा सकेगा. इस कदम से उत्तराखंड में भूमि प्रबंधन की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा बदलाव आएगा.
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