Uttarakhand News: उत्तराखंड (Uttarakhand) में नशे के कारोबार पर लगाम लगाने के साथ ही 2025 तक राज्य को ड्रग्स फ्री स्टेट (Drugs Free State) बनाने का भी संकल्प लिया गया है. राज्य में जल्द ही नशे के खिलाफ व्यापक स्तर पर काम करने के लिए एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (Anti-Narcotics Task Force) का गठन किया जाएगा.


उत्तराखंड में नशे पर लगाम लगाने के लिए भले ही कई प्रयोग किए गए हों, लेकिन फिलहाल राज्य में नशे की बड़ी-बड़ी खेप लगातार पकड़ी जा रही है और पहाड़ से लेकर मैदान तक नशे का बड़े स्तर पर काम हो रहा है. राज्य में 2021 दिसंबर तक के आंकड़े देखें तो नशे पर पुलिस द्वारा बड़ी कार्रवाई की गई है. राज्य में देहरादून, हरिद्वार, चंपावत, नैनीताल, उत्तरकाशी जिलों में सबसे ज्यादा मादक पदार्थों की बरामदगी की कार्रवाई की गई है.


2021 में प्रदेश के भीतर मादक पदार्थों की बरामदगी पर एक नजर


2021 में पूरे प्रदेश में 26 करोड़ रुपये से अधिक के नशीले पदार्थ जब्त हुए हैं. जनपद उत्तरकाशी में 71 लाख से अधिक, टिहरी में 56 लाख से अधिक, चमोली में 6 लाख से अधिक, पौड़ी में 24 लाख से अधिक, देहरादून में 8 करोड़ से अधिक, हरिद्वार में पांच करोड़ से अधिक, अल्मोड़ा में 82 लाख से अधिक, बागेश्वर में 13 लाख से अधिक पिथौरागढ़ से 18 लाख से अधिक, चंपावत से 75 लाख से अधिक, नैनीताल से 66 लाख से अधिक, उधम सिंह नगर से 8 करोड़ से अधिक नशीले पदार्थ जब्त हुए.


मैदानी जिलों में ज्यादा फैला है नशे का कारोबार
आंकड़ों पर गौर करें तो मैदानी जिले नशे की ज्यादा चपेट में हैं. हालांकि पहाड़ी जिले भी इसमें पीछे नहीं हैं. पहाड़ी जिलों में उत्तरकाशी, अल्मोड़ा, चंपावत और टिहरी में भी नशे की बड़ी खेप मिली है. उत्तराखंड के भीतर मादक पदार्थों में सबसे अधिक चरस, स्मैक, नशे की गोलियां, इंजेक्शन, गांजा, अफीम आदि की सप्लाई बड़े पैमाने पर हो रही है. अब राज्य में नशे के कारोबार को रोकने और नशे के सौदागरों पर बड़ी कार्रवाई के लिए एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स बनाई जा रही है, ये स्पेशल फोर्स नशे के खिलाफ अभियान को बड़े स्तर पर चलाएगी और इस धंधे पर लगाम लगाने का काम करेगी. उधर पुलिस का कहना है कि सभी विभागों के सहयोग से नशे के खिलाफ बड़े स्तर पर काम किया जाएगा. फोर्स का गठन किया जा रहा है. 2025 तक उत्तराखंड को ड्रग्स फ्री देवभूमि बनाए जाने के संकल्प को पूरा करेंगे.


युवाओं की कराई जाएगी काउंसलिंग - सीएम धामी


वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ये साफ कर चुके हैं कि 2025 तक देवभूमि को नशामुक्त किया जाएगा. मुख्यमंत्री ने हाल ही में कहा कि देवभूमि उत्तराखंड को नशामुक्त करने के लिए सभी को जिम्मेदारी और समन्वय से कार्य करना होगा.  एक ओर जहां ड्रग्स सप्लायर पर कड़ा प्रहार करना है, वहीं दूसरी ओर बच्चों और युवाओं को ड्रग्स की चपेट में आने से बचाना भी है. सीएम धामी इसको लेकर बैठक कर चुके हैं और निर्देश दिए हैं कि ड्रग्स नेटवर्क को तोड़ने के लिए पुलिस, आबकारी और ड्रग्स कंट्रोलर मिलकर काम करें. नशे के कारोबार पर लगाम लगाने के साथ ही प्रदेश में दो सरकारी नशा मुक्ति केंद्र भी बनने हैं, जिसमें नशे की चपेट में आए युवाओं को बेहतर काउंसलिंग दी जाएगी और उन्हें इस बुरी लत से बाहर निकाला जाएगा.


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उधर, डीजीपी उत्तराखंड अशोक कुमार ने बताया कि सीएम द्वारा एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स के गठन की स्वीकृति दी गई है, तो एडीटीएफ का हम नए रूप में इसका गठन कर रहे हैं, और हमारा पूरा प्रयास होगा कि जैसे उनका स्लोगन ड्रग्स फ्री देवभूमि 2025 तक उनकी अपेक्षाओं पर खरे उतरेंगे, पूरा पुलिस विभाग अन्य विभागों के सहयोग से इस काम में लगेगा और पब्लिक के सहयोग से भी जागरूक करेंगे.


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