Haridwar News: हरिद्वार के श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल में आमने-सामने आए दो गुट, पुलिस प्रशासन के छूटे पसीने
Haridwar News: हरिद्वार के श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल में संपत्ति को लेकर दो गुटों में काफी लंबे से समय से विवाद चल रहा है. अखाड़े के बीच वर्चस्व की जंग का ये मामला कोर्ट में भी चल रहा है.
Haridwar News: हरिद्वार में सिखों के दसवें गुरू गुरू गोविंद सिंह द्वारा स्थापित श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल में वर्चस्व को लेकर घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है. गुरुवार अखाड़े में दो गुट एक बार फिर आमने-सामने आ गए, जब पंजाब से बड़ी संख्या में संत हरिद्वार श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल पहुंच गए. जिसके बाद वर्चस्व को लेकर एक बार फिर विवाद बढ़ गया. हालांकि ये मामला कोर्ट में चल रहा है लेकिन मामला अखाड़े से जुड़ा होने की वजह से प्रशासन में भी हड़कंप मच गया.
वर्चस्व को लेकर आमने-सामने आए दो गुट
दरअसल कुंभ मेले के दौरान अखाड़े के सचिव महन्त बलवंत सिंह को अखाड़े की संपत्तियां खुर्द-बुर्द किए जाने और भू-माफियाओं से मिलकर अखाड़े के पदाधिकारियों के साथ दबंगई करने के आरोप में सचिव पद से बर्खास्त कर दिया गया था, जिसके बाद उनकी जगह कार्यवाहक सचिव इलाहाबाद के रहने वाले महन्त देवेन्द्र सिंह को बनाया गया था. यह मामला कोर्ट ने चल रहा है लेकिन गुरुवार को पंजाब से काफी संख्या में संत हरिद्वार श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल पहुंच गए, जिसने एक बार फिर से इस विवाद को हवा दे दी.
क्या बोले पंजाब से आए संत
पंजाब से आए संत महंत रेशम सिंह का कहना है कि हम यहां पर गुरु नानक पर्व मनाने आए हैं क्योंकि यहां हमारा अखाड़ा है. हमारे लिए सभी संत आदरणीय हैं, हमारे यहां आने पर अखाड़े का गेट जसविंदर सिंह द्वारा बंद कर दिया गया. हमने आराम से यहां बैठकर गुरु अरदास की. यह अखाड़ा सिर्फ जसविंदर सिंह का नहीं है, सभी साधु संतों का अखाड़ा है. अखाड़े का कोई भी संत यहां पर आ सकता है. पंजाब में किसी भी संत की मृत्यु होती है तो उनकी अस्थियां यहीं पर लाई जाती है उसके बाद गंगा में प्रवाहित की जाती है. हम भी और यह भी अखाड़े के ही संत हैं. हमारे बीच में कोई भी विवाद नहीं है और ना ही हम यहां कब्जा करने आए है.
अखाड़े पर कब्जा करने की कोशिश की आरोप
वहीं इस मामले पर श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के कोठारी महंत जसविंदर सिंह का कहना है कि यह मामला अखाड़े की संपत्ति पर कब्जे का है क्योंकि जिस तरह से इतनी संख्या में यह संत आए हैं ये कब्जा करने के इरादे से आए हैं. पहले भी इनके द्वारा अखाड़े की संपत्ति को खुर्द खुर्द किया गया है. वो मामला कोर्ट में चल रहा है जिसमें इनके वारंट भी हो गए हैं. उसके बावजूद भी ये यहां पर कब्जा करने आए हैं अखाड़े में श्री महेंद्र ज्ञानदेव जी 1993 से अध्यक्ष पद पर है पर इन लोगों द्वारा फर्जी तरीके से नया अध्यक्ष बनाया गया. जिसका इन्हे अधिकार भी नहीं है क्योंकि अखाड़े का अपना संविधान होता है और उसके अनुरूप ही कार्य किया जाता है.
अखाड़े की संपत्ति को लेकर दो गुटों में चली आ रही वर्चस्व की जंग लंबे समय से चल रही है और यह मामला कोर्ट में भी चल रहा है मगर आज जिस तरह से अखाड़े में दोनों गुट आमने सामने आए उसने संत परंपरा पर भी सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं. अखाड़े से जुड़ा मामला होने के कारण प्रशासन मैं भी हड़कंप मच गया. आनन-फानन में आला अधिकारी मौके पर पहुंचे और भारी पुलिस फोर्स तैनात की गई. पंजाब से आए संतों को कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस ने अखाड़े से बाहर निकाला जिससे अखाड़े में कोई भी अप्रिय घटना ना हो इस मामले पर कोई भी अधिकारी मीडिया के कैमरे पर बोलने से बचते रहे.