Bharat Jodo Yatra: कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) के दौरान राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के बयान पर विवाद हो गया है. राहुल गांधी ने कहा था कि "भारत (India) देश तपस्वी का है पुजारी का नहीं है". इस बयान के बाद बीजेपी (BJP) और देशभर में पुजारी राहुल गांधी का विरोध कर रहे हैं तो वहीं हरिद्वार (Haridwar) में संत (Saints) समाज ने राहुल गांधी के बयान को सही बताया है. संत समाज ने कहा कि पुजारी और तपस्वी में कोई अंतर नहीं होता है. तपस्वी बनने से पहले पुजारी ही बनना होता है. देश के प्रदानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने भी तपस्या की है तभी आज वो इस मुकाम पर हैं.
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्रपुरी का कहना है कि पुजारी और तपस्वी में कोई अंतर नहीं है क्योंकि जो पुजारी होता है वही तपस्या करता है. भगवान की प्रार्थना करने के लिए पहले हमें पुजारी ही बनना पड़ता है. जब हमारी आस्था जागृत हो जाएगी, तब हम तपस्या में लग जाएंगे. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी एक तपस्वी है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के बयान का विरोध नहीं करना चाहिए. देश में तपस्वी लोग रहते हैं पहाड़ों पर कई तपस्वी तपस्या करते हुए दिख जाएंगे. रविंद्रपुरी का कहना है कि तपस्या के बल पर ही लोगों को पद और मान प्रतिष्ठा मिलती है. राहुल गांधी के बयान से कोई फर्क नहीं पड़ता है. उन्होंने सही बात कही है जो तपस्वी होते हैं वही पुजारी होते हैं.
राहुल गांधी के बयान के समर्थन में आया संत समाज
श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़े के महामंडलेश्वर कपिल मुनि का कहना है कि भारत देश सभी का है. पुजारी पूजा करने के बाद तपस्वी बन जाते हैं इसलिए पुजारी से श्रेष्ठ तपस्वी होता है. राहुल गांधी के बयान का विरोध नहीं करना चाहिए, इनका कहना है कि पूजा तो सामान्य व्यक्ति भी कर सकता है मगर तपस्या कोई-कोई ही करता है. कुछ लोगों को लगता होगा तपस्या बड़ी है या पूजा बड़ी है मगर ऐसा है नहीं दोनों ही समान है.
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