Nainital News: बर्खास्त कर्मचारियों को लेकर HC ने विधानसभा सचिवालय से मांगा जवाब, 31 मार्च को अगली सुनवाई
Uttarakhand News: वकील रविंद्र बिष्ट ने बताया कि विधानसभा द्वारा गठित कमेटी की रिपोर्ट को याचीगण द्वारा अमेंडमेंट के माध्यम से चुनौती दी गई है. एकलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 31 मार्च को तय की है.
Nainital News: उत्तराखंड उच्च न्यायालय (Uttarakhand High Court) ने विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त कर्मचारियों के मामले में याचिकाकर्ता की संशोधन प्रार्थना पत्र को स्वीकार किया और विधानसभा सचिवालय से इस पर दो सप्ताह में अतिरिक्त जवाब दाखिल करने को कहा है. मामले को सुनने के बाद एकलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 31 मार्च को तय की है.
दरअसल, निष्कासित कर्मचारियों की तरफ से कोर्ट में विधानसभा की जांच रिपोर्ट को याचिका में संशोधन प्रार्थना पत्र के माध्यम से चुनौती दी गयी, जिसमें कहा गया है कि 2001 से 2015 तक की नियुक्तियां भी अवैध है परंतु 2016 से 2021 तक हुई नियुक्तियों की जांच की गई जो अवैध पाई गई. इसी आधार पर उन्हें निष्कासित किया गया है. याचिकाकर्ता का कहना है कि जांच के बाद उन्हें सुनवाई का मौका नहीं दिया गया उनके साथ भेदभाव किया गया है. यह प्राकृतिक न्याय के विरुद्ध है.
बता दें कि बर्खास्तगी के आदेश को बबिता भंडारी, भूपेंद्र सिंह बिष्ठ, कुलदीप सिंह और 102 अन्य ने एकलपीठ में चुनौती दी. याचिका में कहा गया है कि विधानसभा अध्यक्ष ने लोकहित को देखते हुए उनकी सेवाएं 27, 28 व 29 सितम्बर 2022 को समाप्त कर दी. बर्खास्तगी आदेश मे उन्हें किस आधार पर किस कारण हटाया गया इस बात का कहीं उल्लेख नही किया गया और न ही उन्हें सुना गया. उनके द्वारा सचिवालय में नियमित कर्मचारियों की भांति कार्य किया गया है. एक साथ इतने कर्मचारियों को बर्खास्त करना लोकहित नही है बल्कि ये आदेश विधि विरुद्ध है.
अगली सुनवाई 31 मार्च को होगी
विधानसभा सचिवालय में 396 पदों पर बैक डोर नियुक्तियां 2001 से 2015 के बीच भी हुई हैं जिनको नियमित किया जा चुका है. याचिकाओं में कहा गया है कि 2014 तक हुई तदर्थ नियुक्त कर्मचारियों को चार साल से कम की सेवा में नियमित नियुक्ति दे दी गई किन्तु उन्हें 6 वर्ष के बाद भी नियमित नहीं किया, अब उन्हें हटा दिया गया. पूर्व में उनकी नियुक्ति को 2018 में जनहित याचिका दायर कर चुनौती दी गयी थी, जिसमें न्यायालय ने उनके हित में आदेश देकर माना था कि उनकी नियुक्ति वैध है जबकि नियमानुसार छह माह की नियमित सेवा करने के बाद उन्हें नियमित किया जाना था.
वकील रविंद्र बिष्ट ने बताया कि विधानसभा द्वारा गठित कमेटी की रिपोर्ट को याचीगण द्वारा अमेंडमेंट के माध्यम से यहां चुनौती दी गई है. उस अमेंडमेंट को स्वीकार करते हुए माननीय न्यायालय याचीगण को एक सप्ताह के भीतर अमेंडमेंट मेमो फाइल करने को कहा है. कोर्ट विधानसभा को भी दो सप्ताह के भीतर अपना अतिरिक्त शपथ पत्र पेश करने को कहा है. इस मामले में अगली सुनवाई 31 मार्च को होगी.
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