Uttarakhand News: उत्तराखंड में बारिश से दरके पहाड़, भूस्खलन से 244 मार्ग बंद, डेढ़ हजार घरों को नुकसान, अबतक 84 की मौत
Uttarakhand Weather: प्रदेश में अनेक स्थानों पर लगातार हो रही बारिश के कारण कई जगह मार्ग बंद हैं. रिपोर्ट के अनुसार, भूस्खलन के कारण प्रदेश में 244 छोटी-बड़ी सड़कें बंद हैं.
Uttarakhand Heavy Rain: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के बड़कोट क्षेत्र में मंगलवार को महाराष्ट्र के एक श्रद्धालु की उफनाई यमुना नदी में डूबने से मौत हो गई, जबकि प्रदेश के अधिकांश जिलों में भारी बारिश के अलर्ट को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दिल्ली से वापस आते ही राज्य आपातकालीन केंद्र पहुंचकर हालात का जायजा लिया. टिहरी के चंबा में सोमवार को हुए भूस्खलन में लापता पांचवें व्यक्ति का शव बरामद कर लिया गया है.
पुलिस ने बताया कि यमुनोत्री धाम के दर्शन करने के बाद लौट रहा महाराष्ट्र के कुछ लोगों का एक दल यमुनोत्री-बड़कोट मार्ग पर किसाला पुल के पास नहाने के लिए रुका था. नहाने के दौरान उनमें से एक व्यक्ति का पैर फिसल गया और वह अनियंत्रित होकर यमुना नदी में बह गया. सूचना मिलने पर पुलिस और एसडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची और तलाशी अभियान शुरू किया. काफी मशक्कत के बाद टीम को घटनास्थल से लगभग दो किलोमीटर दूर उसका शव नदी के बीच पत्थरों में फंसा हुआ मिला. मृतक की पहचान महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के धौंदल गांव के रहने वाले भाव साहेब श्याम राव (42) के रूप में हुई है.
भूस्खलन से पांच लोगों की मौत
इस बीच, टिहरी जिले के चंबा में टैक्सी स्टैंड पर सोमवार शाम जबरदस्त भूस्खलन के बाद मलबे से पांचवां शव भी बरामद कर लिया गया है. मृतक की शिनाख्त टिहरी के थौलधार निवासी सोहन सिंह रावत (34) के रूप में हुई है. घटना के बाद मौके पर चलाए गए बचाव एवं राहत अभियान में एक परिवार के तीन सदस्यों समेत चार मृतकों के शव सोमवार को ही बरामद कर लिए गए थे.
टिहरी के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि चंबा भूस्खलन में दबे पांच शव बरामद हो गए हैं. उन्होंने बताया कि प्रत्येक मृतक के परिजन को चार-चार लाख रुपये की सहायता दी गई है. दीक्षित ने कहा कि चंबा में प्रभावित क्षेत्र से सुरक्षा की दृष्टि से सात परिवारों को वहां से स्थानांतरित किया गया है. उन्होंने बताया कि इसके साथ ही चंबा शहर के भूवैज्ञानिक सर्वेंक्षण के निर्देश दे दिए गए हैं तथा नुकसान का आंकलन किया जा रहा है. जिलाधिकारी ने कहा कि फिलहाल चंबा-नई टिहरी राजमार्ग भूस्खलन के कारण यातायात के लिए बंद है.
प्रदेश में 244 मार्ग बंद
प्रदेश में अनेक स्थानों पर लगातार हो रही बारिश के कारण कई जगह मार्ग बंद हैं. राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार, पिथौरागढ़ जिले में रामगंगा पुल-क्वीटी-बिर्थी राष्ट्रीय राजमार्ग बनिक के पास बहने के कारण यातायात के लिए अवरूद्ध है जबकि उधमसिंह नगर जिले में काशीपुर में ढेला नदी के ऊपर बना पुल क्षतिग्रस्त होने से राष्ट्रीय राजमार्ग 74 बंद हो गया. ऋषिकेश, चंबा, धरासू राष्ट्रीय राजमार्ग बगड़धार में भूस्खलन होने से अवरूद्ध है. एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, भूस्खलन के कारण प्रदेश में 244 छोटी-बड़ी सड़कें बंद है जिन्हें खोलने का प्रयास किया जा रहा है.
पिछले 24 घंटों के दौरान प्रदेश के अनेक स्थानों पर भारी बारिश दर्ज की गयी. ऋषिकेश में 86.2 मिमी, देहरादून में 80.8, काशीपुर में 80, जौलीग्रांट में 78.2 मिमी, कोटद्वार में 75 मिमी, जसपुर में 63, खटीमा में 62 मिमी, हरिद्वार और लक्सर में 60 मिमी बारिश रिकार्ड की गयी. मौसम विभाग ने अपने ताजा पूर्वानुमान में उत्तराखंड के अधिकांश जिलों में अगले दो-तीन दिन भारी बारिश जारी रहने की संभावना व्यक्त की है. प्रदेश के सात जिलों टिहरी, देहरादून, पौड़ी, बागेश्वर, नैनीताल, उधमसिंह नगर और हरिद्वार में मंगलवार के लिए बारिश का आरेंज अलर्ट तथा बुधवार और बृहस्पतिवार को लिए टिहरी, देहरादून, पौड़ी, चंपावत, नैनीताल और उधमसिंह नगर में बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है. इसे देखते हुए राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र ने संबंधित जिलाधिकारियों को अपने क्षेत्रों में 24 घंटे अलर्ट पर रहने तथा पर्याप्त सावधानी बरतने के निर्देश दिए हैं.
सीएम धामी ने ली नुकसान की जानकारी
इस बीच, दिल्ली से लौटते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सचिवालय स्थित राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया. उन्होंने प्रदेश में अतिवृष्टि के कारण हुए नुकसान की जानकारी लेते हुए अधिकारियों को इस दौरान सतर्क रहने के निर्देश दिए. इस मानसून अवधि में प्रदेश में अतिवृष्टि से जनधन की बहुत हानि हुई है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अब तक भूस्खलन, बादल फटने, भूधंसाव आदि प्राकृतिक आपदाओं में 84 व्यक्तियों की जान जा चुकी है और 47 घायल हुए हैं. इनके अलावा, 18 लोग अभी लापता हैं. अतिवृष्टि से करीब डेढ़ हजार मकानों को नुकसान पहुंचने के साथ ही बड़ी मात्रा में कृषि भूमि भी बह गयी है.
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