देहरादून: उत्तराखंड के जंगलों में भड़क रही आग पर काबू पाने के लिए सोमवार को वायुसेना के हेलीकॉप्टरों की भी मदद ली गयी. आग बुझाने में हेलीकॉप्टर से ली जा रही मदद की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी साझा किया जिसमें भारतीय वायु सेना के एमआई हेलीकॉप्टर टिहरी झील से पानी लेने के बाद उड़ान भरते दिखाई दे रहे हैं. प्रदेश में वनाग्नि की घटनाओं में बढ़ोतरी को देखते हुए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से रविवार को मदद की गुहार लगाई थी जिसके बाद उन्होंने तत्काल दो हेलीकॉप्टर भेजे थे. प्रदेश को हर संभव मदद का आश्वासन देते हुए शाह ने कहा था कि जरूरत पड़ने पर राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीमें भी उत्तराखंड भेजी जाएंगी.
हेलीकॉप्टर से आग बुझाने की शुरू की गई कवायद के प्रारंभिक चरण में सोमवार को गढ़वाल क्षेत्र के टिहरी जिले के नरेंद्रनगर वन प्रभाग की नरेन्द्रनगर रेंज में अदवाणी और तमियार के जंगलों में लगी आग बुझाई गई. मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और वन मंत्री हरक सिंह रावत की निगरानी व मुख्य वन संरक्षक (गढ़वाल) एस के पटनायक के समन्वय में सुबह 10 बजे शुरू आग बुझाने का काम शुरू हुआ. इस अभियान के दौरान हेलीकॉप्टर चालक दल के सदस्यों के साथ नरेंद्र नगर के प्रभागीय वनाधिकारी धर्म सिंह मीणा भी मौजूद रहे.
1300 फायर क्रू स्टेशन बनाए गए हैं
टिहरी झील से 5,000 लीटर की बाल्टी में पानी भरकर प्रभावित जंगलों में पानी का छिड़काव किया गया. यह अभियान दोपहर तक जारी रहा लेकिन बाद में प्रतिकूल मौसम के कारण इसे रोकना पड़ा. मंगलवार सुबह दोबारा इसे शुरू किया जाएगा. उधर, उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में दृश्यता कम होने के कारण वनाग्नि शमन कार्य हेलीकॉप्टर के जरिये नहीं किया जा सका.
कुमाऊं मण्डल की मुख्य वन संरक्षक तेजस्विनी पाटिल धकाते ने बताया कि वातावरण में धुएं का घनत्व बहुत था और इस कारण हेलीकॉप्टर को उड़ान भरने के लिए जरूरी दृश्यता नहीं मिली. उन्होंने बताया कि दृश्यता बढ़ने पर हेलीकॉप्टर से जंगल की आग को बुझाने का अभियान शुरू किया जाएगा. वन विभाग के आंकडों के अनुसार, इस 'फायर सीजन' में चार अप्रैल तक वनाग्नि की 983 घटनाएं हुई हैं जिससे 1292 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है. नैनीताल, अल्मोड़ा, टिहरी गढ़वाल और पौड़ी गढ़वाल जिले वनाग्नि से अधिक प्रभावित है जिसे काबू करने के लिए 12 हजार वन कर्मी लगे हुए हैं जबकि 1300 फायर क्रू स्टेशन बनाए गए हैं.
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