Uttarakhand High Court: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने वकील के रूप में नाम दर्ज कराने के लिए कानून के स्नातकों से अत्यधिक पंजीकरण शुल्क लेने के मामले में बुधवार को उत्तराखंड बार काउंसिल और अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया.


चार सप्ताह का दिया समय 
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह राठौर और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा ने उत्तराखंड बार काउंसिल, बार काउंसिल ऑफ इंडिया, भारत सरकार और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी करते हुए उन्हें इस संबंध में अपना जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया.


जनहित याचिका पर हुई सुनवाई
ये नोटिस उत्तराखंड बार काउंसिल के उन नियमों की वैधता को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान जारी किया गया जिनके तहत कानून के स्नातकों से वकील के रूप में पंजीकरण के लिए अत्यधिक शुल्क लिया जाता है. देहरादून स्थित गैर सरकारी संगठन ‘रूरल लिटिगेशन एंड एनटाइटलमेंट केंद्र’(रूलक) ने ये जनहित याचिका दायर की थी.


लिए जा रहे हैं इतने रुपये
रूलक के अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता ने बताया कि अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 24 (1)(एफ) के तहत वकील के रूप में पंजीकरण के लिए 750 रुपये लिए जाने चाहिए लेकिन उत्तराखंड बार काउंसिल इसके लिए सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों से 18,650 और आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों से 15,525 रुपये, 40 साल से ज्यादा उम्र के पुरुष उम्मीदवारों से 38,650 रुपये और 40 साल से ज्यादा की महिला उम्मीदवारों से 33,650 रुपये ले रही है.


अत्यधिक पंजीकरण शुल्क नहीं लिया जा सकता है
कार्तिकेय हरि गुप्ता ने कहा कि अधिवक्ता अधिनियम 1961 के अनुसार अत्यधिक पंजीकरण शुल्क नहीं लिया जा सकता और पंजीकरण शुल्क को 750 रुपये रखने का उद्देश्य इसे पूरे देश में एक समान और सबकी वहन क्षमता के भीतर रखना था.


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