देहरादून: उत्तराखंड में चार धाम यात्रा, महाकुम्भ, परिवहन निगम कर्मचारियों के वेतन समेत कई मुद्दों पर नैनीताल हाईकोर्ट सरकार को फटकार लगा चुका है. कई ऐसे मामले रहे हैं, जिनको हाई कोर्ट के आदेश के बाद सरकार को बदलना पड़ा है. सरकार की किरकिरी हुई, जानकार मान रहे हैं कि, अधिकारियों की और से हाईकोर्ट में सही पक्ष न रखने की वजह से सरकार को बार-बार हाईकोर्ट की फटकार लगी है, और इस पर सियासत गरमाने लगी है.


उत्तराखंड में हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार को कई बार फैसले बदलने पड़े. चार धाम यात्रा को लेकर तो नैनीताल हाईकोर्ट ने सरकार को दो बार फटकार लगा दी, और दोनों बार ही सरकार को अपना फैसला बदल कर चार धाम यात्रा स्थगित करनी पड़ी. भाजपा सरकार के पिछले साढ़े 4 साल के कार्यकाल में कई ऐसे मामले हुए हैं, जिन पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी या फिर सरकार को अपने फैसले ही बदलने पड़े. लगातार हो रही सरकार की किरकिरी के बाद विपक्षी दलों ने सरकार पर हमला बोलना शुरू कर दिया है. विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार जो भी फैसला लेती है उस पर हाईकोर्ट रोक लगा देता है. इससे साफ जाहिर है कि, सरकार के अधिकारी कोर्ट में सही तथ्य पेश नहीं करते या फिर बिना सोचे समझे ऐसे निर्णय ले जाते हैं जो जनहित में नहीं होते और फिर हाईकोर्ट को इन मामलों में हस्तक्षेप करना पड़ता है.


इन मामलों पर हाईकोर्ट रहा सख्त


-चार धाम यात्रा पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक.


-कुंभ में हुए RT-PCR मामले पर भी सरकार को फटकार.


-परिवहन निगम कर्मचारियों को वेतन न देने पर सरकार की किरकिरी.


-महाकुंभ के आयोजन पर पर्याप्त व्यवस्था न होने पर सरकार को फटकार.


-गेस्ट टीचर और उपनल कर्मचारियों के मामले पर सवाल.


-उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने के मामले पर हाईकोट सख्त रहा.


-पूर्व सीएम सुविधा एक्ट को हाई कोर्ट ने निरस्त किया.


-कोरोना के दौरान सरकार की स्वास्थ्य संबंधी व्यवस्था ना होने पर हाईकोर्ट की फटकार.


सख्त रहा हाई कोर्ट
हाईकोर्ट ने परिवहन निगम के कर्मचारियों को पिछले 5 महीने से वेतन न देने पर सख्त रुख अपनाया. हाई कोर्ट ने सरकार को साफ कहा कि, वह आईएएस अधिकारियों के वेतन रोके, लेकिन कर्मचारियों के वेतन दें, इससे साफ जाहिर है कि हाईकोर्ट सरकार के फैसले से काफी नाराज रहा है. वहीं परिवहन निगम के कर्मचारी भी यह बात कह रहे हैं कि, उन्होंने सरकार के सामने कई बार अपना पक्ष रखा लेकिन बात नहीं सुनी गई. आखिर में गुहार हाईकोर्ट में लगानी पड़ी.  जिसके बाद हाईकोर्ट ने सरकार को सख्त हिदायत दी है कि, परिवहन निगम के कर्मचारियों का वेतन दिया है जाए. वहीं, जानकार मान रहे हैं कि सरकार के अधिकारियों की ओर से हाईकोर्ट में सही पक्ष नहीं रखा जाता और अधिकारी सरकार को गुमराह भी करते हैं, जिससे हाईकोर्ट सरकार के खिलाफ सख्त रुख अपनाता है.


कोर्ट में अपना पक्ष रखने में असफल रही सरकार


सरकार के कई फैसलों पर हुई उच्च न्यायालय की फटकार इस बात को साफ जाहिर करती है. कहीं ना कहीं सरकार की ओर से न्यायालय के समक्ष अपने पक्ष को मजबूती से नहीं रखा गया, साथ ही अपने फैसलों के हिसाब से तैयारियां पुख़्ता भी नहीं की गई. यही वजह रही कि, हाईकोर्ट की फटकार के बाद सरकार को अपने कई फैसले बदलने पड़े.


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