Uttarakhand News: हिमालयी राज्य उत्तराखंड में मानव-वन्यजीव संघर्ष बड़ी समस्या बन गई है. आबादी का दायरा बढ़ने से जंगल का कटाव तेज हो रहा है. प्रदेश में मानव वन्यजीव टकराव को कम करने के लिए वन विभाग का प्रयास नाकाफी साबित हुआ है. संघर्ष में इंसानों की मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. आबादी में वन्यजीवों का इंसानों पर हमले के मामले भी बढ़े हैं. उत्तराखंड वन विभाग की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार 1 जनवरी सन 2000 से लेकर 12 अक्टूबर 2023 तक 1115 लोगों की जान जानवरों ने ली है.
बढ़ रही मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं
बीते 23 वर्षों में इंसानों पर जानवरों के 5491 हमले की घटना सामने आई है. वन विभाग के आंकड़े काफी डरावने हैं. सरकार जानवरों को संरक्षित करने का काम कर रही है. इंसानों की सुरक्षा पर भी ध्यान देने की जरूरत है. इंसानों के साथ जानवरों का महत्व है. उत्तराखंड में सबसे ज्यादा इंसानों की जान लेने वाला जानवर लेपर्ड यानी तेंदुए हैं. तेंदुए 23 वर्षों में 515 लोगों को मौत के घाट उतार चुके हैं. पिछले एक-दो महीने की घटना को आंकड़ों में शामिल नहीं किया गया है.
दूसरे नंबर पर हाथी इंसानों के लिए आक्रामक साबित हुए हैं. हाथी के हमलों में अब तक 212 लोगों की जान चली गई है. तीसरे नंबर पर बाघ यानी टाइगर हैं. बाघ के हमलों में अब तक 73 लोगों की जान जा चुकी है. एक दो मामलों को शामिल करने से आंकड़ा और बढ़ सकता है. भालू भी 23 वर्षों में 62 लोगों को मौत की नींद सुला चुका है. कोबरा के डसने से अब तक 216 लोगों की जान गई है. अन्य जानवर भी 37 लोगों की जान ले चुके हैं.
23 वर्षों के दौरान 5491 मामले दर्ज किए
मानव वन्यजीव की जंग में करीब 1115 लोग काल के गाल में समा चुके हैं. बीते 23 वर्षों में इंसानों पर जानवरों के 5491 हमले दर्ज किए गए. हमले में कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं और आज तक जख्मों से उबर नहीं पाए हैं. इंसानों को घायल करने में भी सबसे आगे लेपर्ड रहा है. तेंदुए के हमले में अब तक उत्तराखंड में 1873 लोग घायल हुए हैं. हाथी 223 लोगों को हमला कर घायल चुके हैं. बाघ के हमले में 123 लोग, भालू के हमले में 1856 लोग घायल हुए हैं.
7 लोगों की टीम से सेल का किया गठन
सांप डसने के 744 मामले दर्ज किए गए. अन्य जानवरों के हमले में 672 लोग घायल हुए हैं. इंसानों पर जानवरों के हमलों की कुल संख्या 5491 होती है. मानव वन्यजीव संघर्ष की पर नजर रखने और क्विक रिस्पॉन्स के लिए वन महकमा में एक अलग सेल का गठन किया गया है. सेल मानव वन्य जीव संघर्ष के मामलों को देख रहा है. 7 लोगों की टीम उत्तराखंड के जंगली इलाकों में नजर बनाए हुई हैं.
टीम का काम आंकड़ों को इकट्ठा कर रिकॉर्ड में शामिल करने का है. लगभग 3 महीने बाद आंकड़ों का अध्ययन किया जाएगा. अध्ययन से पता लगेगा कि किन इलाकों में काम करने की ज्यादा जरूरत है. आपको बता दें कि उत्तराखंड में ठंड शुरू होते ही जानवरों के हमले इंसानों पर ज्यादा होने लगते हैं. ऐसे में जानवरों के साथ इंसानों की सुरक्षा पर वन महकमा को विचार करना होगा.