Uttarakhand News: उत्तराखंड में औद्योगिक हैंप की नई किस्म पर शोध, राज्य में व्यावसायिक उत्पादन की चल रही तैयारी
उत्तराखंड में भांग की एक नई किस्म तैयार की जा रही है, जिसका उपयोग विभिन्न औद्योगिक और उपभोक्ता उत्पादों में किया जा सकेगा. इस नई किस्म में ट्रेटा हाइड्रो कैनाबिनॉल (टीएचसी) की मात्रा 0.3% से कम होगी.
Uttarakhand News: उत्तराखंड के स्थानीय लोग कई वर्षों से भांग के बीज और रेशे का पारंपरिक उपयोग कर रहे हैं. भांग की इस उपयोगिता को देखते हुए अब औद्योगिक स्तर पर इसके फाइबर और बीज का इस्तेमाल विभिन्न उत्पादों में किया जाने लगा है. दुनिया भर के 40 से अधिक देशों में भांग की एक किस्म, औद्योगिक हैंप, की व्यावसायिक खेती हो रही है. इस दिशा में उत्तराखंड ने भी कदम बढ़ाए हैं और अब राज्य में इसके व्यावसायिक उत्पादन की तैयारी चल रही है.
उत्तराखंड में औद्योगिक हैंप की खेती को बढ़ावा देने के लिए सगंध पौध केंद्र (कैप) सेलाकुई में भांग की नई किस्म तैयार की जा रही है. इस केंद्र ने प्रदेश भर से भांग के बीज के एक हजार सैंपल एकत्रित किए हैं. जिनकी जांच की जा रही है. मुख्य रूप से सैंपल में ट्रेटा हाइड्रो कैनाबिनॉल (टीएचसी) की मात्रा का पता लगाया जा रहा है. जिन बीजों में टीएचसी की मात्रा 0.3% से कम पाई जाती है, उनसे नई किस्म तैयार की जा रही है.
नई किस्म का उपयोग कई उद्देश्य से
इस नई किस्म का उपयोग कई उद्देश्यों के लिए किया जाएगा. जिसमें तने से फाइबर निकालकर ऑटोमोबाइल, फर्नीचर, टैक्सटाइल और पेपर बनाने का काम किया जा सकेगा. वहीं इसके बीज से मसाले, चटनी, बेकरी उत्पाद, और कॉस्मेटिक वस्तुएं बनाई जा सकेगी.
औद्योगिक हैंप की वैश्विक मांग और उपयोगिता
भांग की इस किस्म की उपयोगिता और वैश्विक मांग को देखते हुए उत्तराखंड में इसके व्यावसायिक उत्पादन की संभावना बढ़ गई है. विश्व भर के 40 से अधिक देशों में औद्योगिक हैंप की खेती और व्यापार हो रहा है, जिसमें प्रमुख रूप से अमेरिका, कनाडा, जर्मनी, नीदरलैंड, डेनमार्क, चीन, थाईलैंड, और ब्राजील शामिल हैं. औद्योगिक हैंप के तने से फाइबर तैयार किया जाता है, जिसका इस्तेमाल विभिन्न औद्योगिक और उपभोक्ता उत्पादों में होता है. इसके अलावा और भी खाद्य उत्पाद तैयार किए जाते हैं
औद्योगिक हैंप की खेती की वर्तमान स्थिति
हालांकि उत्तराखंड की जलवायु औद्योगिक हैंप की खेती के लिए अनुकूल है. फिर भी राज्य में बड़े पैमाने पर इसका व्यावसायिक उत्पादन अभी शुरू नहीं हो पाया है. त्रिवेंद्र सरकार के समय इस दिशा में कदम उठाए गए थे. जिसमें ट्रायल के तौर पर कई लोगों को औद्योगिक हैंप की खेती के लिए लाइसेंस दिए गए थे. इसके साथ ही, दुरुपयोग रोकने के लिए नियमावली भी तैयार की गई थी. हालांकि अभी बड़े पैमाने पर खेती की शुरुआत नहीं हो पाई है
आने वाले समय में व्यावसायिक खेती की संभावनाएं
सगंध पौध केंद्र के निदेशक नृपेंद्र सिंह चौहान के अनुसार, राज्य भर से एकत्रित किए गए भांग के बीजों से नई किस्म तैयार की जा रही है इस किस्म में टीएचसी की मात्रा 0.3% से कम होगी इस किस्म के सफल परीक्षण के बाद उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर औद्योगिक हैंप की खेती की जा सकेगी.उत्तराखंड की भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियों को देखते हुए, इस क्षेत्र में औद्योगिक हैंप की खेती राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए एक नए अवसर के रूप में उभर सकती है.
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