Uttarakhand News: उत्तराखंड में बढ़ रहा हाथियों का कुनबा, लोगों के लिए मुसीबत का सबब, बढ़ रही हमले की घटना
उत्तराखंड में हाथियों की संख्या में बीते सालों के दौरान काफी तेजी से वृद्धि हुई है. हालांकि इस दौरान हाथियोों का इंसानों से टकराव भी बढ़ा है. हाथियों के हमले की खबरें आ बात हो गई है.
Uttarakhand News: उत्तराखंड में एशियाई हाथी काफी फल फूल रहे हैं, उनकी संचार लगातार बढ़ती जा रही है. उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क राजाजी नेशनल पार्क और उनके आसपास फॉरेस्ट डिविजन में इनकी भारी संख्या में आमद पाई जाती है. वहीं इनकी संख्या का उत्तराखंड में 2020 तक 2026 बताई गई है, जबकि अब ये आंकड़ा काफी आगे बढ़ चुका है. केवल कॉर्बेट पार्क में ही इनकी संख्या 12 सौ से अधिक है.
उत्तराखंड में हाथियों का कुनबा लगातार बढ़ता जा रहा है, ये उत्तराखंड फारेस्ट के मैनेजमेंट का कमाल है या यहकि आबोहवा का यह अलग बात है. लेकिन इनकी संख्या तेजी से बढ़ाना वन्य जीव प्रेमियों के लिए काफी खुशी की बात है. इनकी संख्या कभी-कभी स्थानीय लोगों के लिए मुसीबत का सबब भी बन जाती है. हाथियों के द्वारा इंसानों की फसल बर्बाद करना उनके ऊपर हमला करना इस प्रकार की घटना है कई बार सामने आती है.
बंद हो रहे परंपरागत कॉरिडोर
हरिद्वार और नैनीताल जिले में ऐसे कई नजारे सामने आ चुके हैं. इनका इंसानी बस्तियों तक पहुंचाने का एक कारण यह भी है कि धीरे-धीरे मिश्रित वन जंगलों से समाप्त होते जा रहे हैं. जिस कारण इन्हें बाहर निकालना पड़ता है. वहीं उनके परंपरागत कॉरिडोर भी धीरे-धीरे बंद होते जा रहे हैं, जिस कारण मैन एनिमल कनफ्लिक्ट बढ़ाने की घटनाएं सामने आ रही हैं.
शिवालिक बेल्ट के दक्षिण पतली दून-चिलकिया कॉरिडोर, चिलकिया-कोटा, कोट-मैलामी, फतेहपुर-गदगरिया, गौला रौखड़-गौराई टांडा, किलपुरा-खटीमा-सुरई हाथी कॉरिडोर में से कई बंद हो गए हैं कॉरिडोर बंद होने के कारण हाथियों का विचरण एक क्षेत्र तक सीमित रह गया है। तराई और भाबर में मिश्रित वनों की कमी के कारण भी हाथी भोजन की तलाश में ग्रामीण क्षेत्रों का रुख कर रहे हैं। इस कारण मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ रहे हैं।
इस वजह से बढ़ रही टकराव की घटना
वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर दीप रजवार बताते हैं कि लगातार खुलते सफारी जोन की वजह से भी इनके स्वच्छंद विचरण में खलल पड़ रहा है. इनका व्यवहार प्रभावित हो रहा है और ये ज़्यादा उग्र हो रहे हैं क्योंकि हाथी एक सामाजिक प्राणी है. ये परिवार के प्रति काफी संवेदनशील होते हैं ऐसे में जहां इनका टकराव इंसानों से होता है. ये काफी आक्रामक हो जाते हैं और मानव वन्य जीव संघर्ष की घटनाओं में इजाफा हो रहा है.
कोर्बेट के आस पास के होटलों में देर रात्रि तक तीव्र आवाज़ में बजता संगीत, रामनगर से मोहान तक राज मार्ग पर रात भर चलते वाहन से भी इनका स्वच्छंद विचरण और व्यवहार प्रभावित हो रहा है. हाथियों की एक आबादी संरक्षित वन क्षेत्रों के बाहर मुख्यत: कृषि भूमि एवं मानवीय बस्तियों के आस पास रहती है जिसके कारण अक्सर मानव हाथी संघर्ष की घटनाएं जैसे की फसल क्षति, जानमाल की क्षति आदि की खबरें आती रहती हैं.