Joshimath Sinking: सेलांग गांव की भी हो रही जोशीमठ जैसी स्थिति? ग्रामीणों में दहशत का माहौल
Landslide : सेलंग गांव के वन पंचायत सरपंच शिशुपाल सिंह भंडारी ने कहा कि एनटीपीसी परियोजना के कारण ग्रामीणों का जीवन दयनीय हो गया है. इसके लिए कई आवेदन भेजे गए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गयी.
Joshimath News : उत्तराखंड में जोशीमठ के बाद अब अन्य जगहों पर भी भू-धंसाव (Landslide) की घटनाएं सामने आ रही हैं. जोशीमठ से करीब पांच किलोमीटर दूर स्थित सेलंग गांव का हाल भी जोशीमठ जैसा ही होने की आशंका जताई जा रही है. सेलंग गांव में भी कई घरों और खेतों में दरारें आने लगी हैं. जोशीमठ की स्थितियों को देखने के बाद स्थानीय ग्रामीण काफी डरे हुए हैं. गांव में ऐसा पिछले कुछ महीनों से हो रहा है.
बोले ग्रामीण, दुर्दशा के लिए एनटीपीसी जिम्मेवार
बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-58) पर स्थित सेलंग के निवासियों ने कहा कि वे डरे हुए हैं. जोशीमठ के संकट ने उनके डर को और बढ़ा दिया है. ग्रामीण अपनी दुर्दशा के लिए एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. सेलंग निवासी विजेंद्र लाल ने पीटीआई-भाषा से कहा कि इस परियोजना की सुरंगें गांव के नीचे बनाई गई हैं. उन्होंने दावा किया कि इन सुरंगों में से एक के मुहाने के पास राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित एक होटल जुलाई 2021 में ढह गया था. उसके नजदीक का पेट्रोल पंप भी आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुआ था. अब घरों पर भी खतरा मंडरा रहा है.
गांव के नीचे बनी हैं नौ सुरंगें
उन्होंने दावा किया कि गांव के नीचे एनटीपीसी की नौ सुरंगें बनी हैं. इन सुरंगों के निर्माण में बहुत सारे विस्फोटकों का इस्तेमाल किया गया था. इसी सी गांव की नींव को नुकसान पहुंचा है. लगभग 15 घरों में दरारें आने का दावा करते हुए ग्रामीण ने कहा कि गांव की मुख्य बस्ती से 100 मीटर नीचे एक जल निकासी प्रणाली भी बनाई जा रही है. इससे कुछ मीटर की दूरी पर भी गांव की ओर दरारें नजर आने लगी हैं.
एनटीपीसी ने दयनीय कर दी हमारी हालत : सरपंच
सेलंग गांव के वन पंचायत सरपंच शिशुपाल सिंह भंडारी ने कहा कि एनटीपीसी परियोजना के कारण ग्रामीणों का जीवन दयनीय हो गया है. उन्होंने कहा कि इसके लिए कई आवेदन भेजे गए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गयी. उन्होंने दावा किया कि नुकसान करीब एक दशक पहले उस समय शुरू हुआ था, जब एनटीपीसी ने इलाके में सुरंग खोदनी शुरू की थी. उस समय लोगों ने विरोध किया तो एनटीपीसी ने एक निजी कंपनी से घरों का बीमा करवाया. लेकिन, अब जब मकानों में दरारें आ रही हैं तो वह मकान मालिकों को मुआवजा देने से बच रहा है.
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