(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Uttarakhand News: प्रीतम सिंह और हरीश रावत की बयानबाजी ने बढ़ाई कांग्रेस की चिंता, जानें- पूरा विवाद
Uttarakhand Politics: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह के बीच बयानबाजी ने कांग्रेस की चिंता को बढ़ा दिया है. देखना दिलचस्प होगा कि क्या करण माहरा इसे सुलझा पाएंगे.
Uttarakhand Congress Politics: उत्तराखंड कांग्रेस (Congress) में गुटबाजी किसी से छुपी नहीं है और ऐसे में अब पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत (Harish Rawat) और पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह (Pritam Singh) के बीच हो रही बयानबाजी ने कांग्रेस की चिंता को और बढ़ा दिया है. भले ही इस मामले में अब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा (Karan Mahara) कूद गए हैं लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या वो इन दोनों बड़े नेताओं के बीच की जुबानी जंग को रोक पाएंगे.
प्रीतम सिंह और हरीश रावत के टकराव ने बढ़ाई चिंता
हरीश रावत और प्रीतम सिंह के बीच हो रही जुबानी जंग कांग्रेस को और मुसीबत में डाल सकती है. ऐसे में करण माहरा चाहते हैं कि दोनों नेताओं के बीच हो रही जुबानी जंग को थाम दिया जाए ताकि कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं को ये मैसेज दे सके की कांग्रेस के अंदर सब कुछ ऑल इज वेल है. उधर इन सबके बीच कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट रहा है. कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री जोशी ने कहा कि हमारे वरिष्ठ नेता इस बात को स्पष्ट कर चुके हैं कि कोई भी बात पार्टी फोरम पर ही रखी जाए, अगर कांग्रेस मिलजुलकर काम करेगी तो उसे उत्तराखंड में हराने वाला कोई नहीं है.
कांग्रेस की कलह पर जानकारों की राय
कांग्रेस के भीतर चल रही जुबानी जंग पर को लेकर राजनीति के जानकारों का मानना है कि इस तरह से बड़े नेता आपस में लड़ते रहे तो कांग्रेस एक बार फिर से दो फाड़ की तरफ जाती दिख रही है. जानकार मानते हैं कि करण माहरा भले ही प्रदेश अध्यक्ष पद पर हों, लेकिन वो प्रीतम और हरीश रावत से जूनियर हैं ऐसे में उनके लिए दोनों को समझा पाना इतना आसान भी नहीं होगा. यही स्थिति रही तो आने वाले समय में कांग्रेस के पास अपना जनाधार बचाना भी मुश्किल हो जाएगा.
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हरीश रावत की सोशल मीडिया पर चुटकी और प्रीतम सिंह का हरीश रावत की ओर इशारा कर ये कहना कि 2016 का दंश कांग्रेस झेल रही है, इन बयानों के बाद कांग्रेस के भीतर कलह मची हुई है. अब माहरा के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी है कि उन्हें इन दोनों नेताओं की जुबानी जंग को ख़त्म भी करना है और बुरे दौर से गुजर रही कांग्रेस को मजबूत भी. हालांकि माहरा के लिए इन दोनों नेताओं को मनाना और समझाना इतना आसान भी नहीं है.
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