केदारनाथ में आज थमेगा प्रचार का शोर, बीजेपी-कांग्रेस में सीधी टक्कर, इन मुद्दों पर खास जोर
Kedarnath Bypoll 2024: केदारनाथ उपचुनाव भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है, क्योंकि ये सीट बीजेपी विधायक की मौत के बाद खाली हुई है. वहीं, कांग्रेस भी पूरी ताक़त से टक्कर दे रही है.
Kedarnath Bypoll 2024: उत्तराखंड के केदारनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए आज शाम पांच बजे चुनाव प्रचार का शोर थम जाएगा. ऐसें में सभी दलों ने अपनी पूरी ताक़त लगाई हुई है. इस सीट बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है. बीजेपी ने यहां से आशा नौटियाल को प्रत्याशी बनाया है तो वहीं कांग्रेस ने पूर्व विधायक मनोज रावत को मैदान में उतारा है. हालांकि, निर्दलीय प्रत्याशी त्रिभुवन की भी चर्चा हो रही है जिससे मामला त्रिकोणीय हो सकता है.
केदारनाथ सीट पर स्थानीय मुद्दे अहम हैं. इनमें केदारनाथ यात्रा के दौरान सरकार की कथित चूक, जर्जर सड़कों की हालत, पलायन, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली जैसे मुद्दों को लेकर लोगों में नाराजगी साफ दिख रही है. बीजेपी विकास योजनाओं और सीएम धामी के नेतृत्व को लेकर चुनाव प्रचार कर रही है.
केदारनाथ सीट पर बीजेपी-कांग्रेस में टक्कर
केदारनाथ उपचुनाव भाजपा के लिए बेहद अहम है, क्योंकि ये सीट बीजेपी विधायक की मौत के बाद खाली हुई है. वहीं, कांग्रेस ने इससे पहले उत्तराखंड में हुए दो उपचुनावों में जीत दर्ज कर भाजपा को कड़ी चुनौती दी है. इन उपचुनावों में भाजपा की हार के कारण पहले से ही पार्टी पर दबाव है. ऐसे में केदारनाथ सीट पर जीत दर्ज कर भाजपा अपनी साख बचाने की कोशिश कर रही है. सीएम धामी समेत तमाम मंत्रियों ने यहां अपना पूरा जोर लगाया हुआ है.
केदारनाथ उपचुनाव के लिए मतदान 20 नवंबर को होगा, जबकि मतगणना 23 नवंबर को की जाएगी. उत्तराखंड में केवल एक सीट पर उपचुनाव हो रहा है लेकिन, बीजेपी और कांग्रेस ने इस पर पूरा दम लगाया है. इस बार कुल 90,875 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे, जिसमें 1837 युवा मतदाता पहली बार वोट डालने जा रहे हैं. इनमें से अधिकांश युवा 18 से 19 वर्ष की आयु के हैं, जो अपने पहले मतदान को लेकर खासे उत्साहित हैं.
सियासी जानकारों का मानना है कि 1837 युवा मतदाता इस उपचुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं. ये युवा स्थानीय मुद्दे, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और पलायन के आधार पर वोटिंग करने के मूड में हैं. ऐसे में उम्मीदवारों के लिए यह जरूरी हो गया है कि वे अपने प्रचार में युवाओं के इन मुद्दों को प्रमुखता से शामिल करें.