Uttarakhand News: उत्तराखंड सरकार ने संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार और इसको मजबूत करने के उद्देश्य से इसे द्वित्तीय राज भाषा का दर्जा दिया. इसके बावजूद अभी तक संस्कृत भाषा के प्रति छात्र-छात्राओं का रुझान नहीं बढ़ सका. संस्कृत विश्स्कूलों में न केवल छात्रों की संख्या कम होती जा रही है, बल्कि शिक्षकों की कमी भी है. इसको देखते हुए श्री पंचायती निर्मल अखाड़े के कोठारी जसविंदर सिंह (Kothari Jaswinder Singh) के नेतृत्व में साधु संतों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) से मुलाकात कर संस्कृत स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति और व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की मांग की.


सीएम धामी से मुलाकात कर की मांग


श्री पंचायती निर्मल अखाड़े के कोठारी जसविंदर सिंह का कहना है कि संस्कृत स्कूल में शिक्षकों की नियुक्ति और व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए 29 जनवरी को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि जिन स्कूलों में सरकार के द्वारा शिक्षकों की नियुक्तियां नहीं की गई, वहां पर संस्थाओं द्वारा अपनी तरफ से कुछ शिक्षक रखे गए हैं. अगर सरकार के द्वारा शिक्षकों की नियुक्तियां की जाएगी, तो इसे संस्कृत भाषा को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने कहा कि निर्मल संस्कृति स्कूल हमारे द्वारा भी चलाया जाता है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हमें आश्वासन दिया है कि जितने भी संस्कृत स्कूल हैं, उसमें शिक्षकों की नियुक्तियां जल्दी की जाएगी.


कोठारी जसविंदर सिंह का कहना है कि संस्कृत भाषा सभी भाषाओं की जननी है. सनातन परंपरा के वेद शास्त्र उपनिषद संस्कृत भाषा में ही लिखे गए हैं. अगर हम लोगों को संस्कृत भाषा की जानकारी नहीं होगी और घर-घर तक संस्कृत भाषा नहीं पहुंचेगी, तब तक हम अपने वेद शास्त्रों को नहीं जान पाएंगे. इसलिए बहुत जरूरी है कि इस आधुनिक युग में संस्कृत भाषा की सबको जानकारी हो और यह तभी होगा जब संस्कृत भाषा को सही तरीके से पढ़ाया जाएगा. संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए सरकार, प्रशासन और धार्मिक संस्थाओं को गंभीर होने की जरूरत है.


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