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Uttarakhand: उत्तराखंड कांग्रेस में तीन महत्वपूर्ण पदों पर कुमाऊं का दबदबा, कहीं भारी न पड़े गढ़वाल की अनदेखी !
Uttarakhand Congress: कांग्रेस ने उत्तराखंड में तीन महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी कुमाऊं मंडल के ही नेताओं को सौपीं है. ऐसे में कई लोग ये सवाल उठा रहे हैं कि कहीं गढ़वाल मंडल की अनदेखी भारी न पड़ जाए.
Uttarakhand Congress: कांग्रेस ने उत्तराखंड में तीन महत्वपूर्ण पदों की जेम्मेदारी कुमाऊं मंडल के ही नेताओं को सौपीं है. कांग्रेस आलाकमान ने नेता प्रतिपक्ष, उपनेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी कुमाऊं मंडल के नेताओं को दी है. ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या कांग्रेस ने गढ़वाल मंडल की अनदेखी की है. उत्तराखंड में राजनीतिक नजरिये से देखा जाए तो जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों के आधार पर पदों का दायित्व दिया जाता रहा है.
अहम पदों पर इस मंडल को दी वरीयता
उत्तराखंड में करीब एक महीने से खाली पड़े कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष समेत नेता प्रतिपक्ष और उप नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारियां हाईकमान ने तय कर दी हैं. लेकिन पदों पर जिम्मेदारियां चौंकाने वाली रहीं क्योंकि सभी पदों पर कुमाऊं को वरीयता दी गई है. कांग्रेस हाईकमान उत्तराखंड में जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को साधना भूल गया ऐसे आरोप पार्टी संगठन के अंदर ही कई नेता उठा रहे हैं. हालांकि कोई खुलकर इस बात को नहीं बोल रहा है. गढ़वाल मंडल की अनदेखी से कांग्रेस के कई नेता नाराज हैं तो वहीं लगे हाथ भाजपा को भी कांग्रेस पर सवाल उठाने का मौका मिल गया.
कांग्रेस आलाकमान के फैसले ने चौंकाया
राज्य गठन के बाद से उत्तराखंड में भाजपा और कांग्रेस ने जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को साधने के लिए कुमाऊं और गढ़वाल दोनों मंडलों को तरजीह दी है. जातीय समीकरण के आधार पर भी नेताओं को दायित्व दिये गये हैं. मसलन यदि सीएम गढ़वाल से तो पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का पद कुमाऊं से रहा है. विपक्ष के तौर पर नेता प्रतिपक्ष कुमाऊं से है तो प्रदेश अध्यक्ष गढ़वाल से रहेगा. यानी दोनों ही पार्टियां जातीय-क्षेत्रीय समीकरणों के आधार पर पदों को बांटती रही हैं.
राज्य गठन के बाद से उत्तराखंड में भाजपा और कांग्रेस ने जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को साधने के लिए कुमाऊं और गढ़वाल दोनों मंडलों को तरजीह दी है. जातीय समीकरण के आधार पर भी नेताओं को दायित्व दिये गये हैं. मसलन यदि सीएम गढ़वाल से तो पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का पद कुमाऊं से रहा है. विपक्ष के तौर पर नेता प्रतिपक्ष कुमाऊं से है तो प्रदेश अध्यक्ष गढ़वाल से रहेगा. यानी दोनों ही पार्टियां जातीय-क्षेत्रीय समीकरणों के आधार पर पदों को बांटती रही हैं.
आलाकमान के फैसले पर क्या बोले नए प्रदेशाध्यक्ष
इस बारे में बात करते हुए कांग्रेस के नये प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने कहा कि हमें उत्तराखंडियत की बात करनी चाहिए न कि गढ़वाल या कुमाऊं की. उन्होंने इसी बात को लेकर उदाहरण भी दिया. चुनावों के बाद कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष और अध्यक्ष पद को लेकर बड़े स्तर पर लॉबिंग देखने को मिली थी. लेकिन हाईकमान ने चौंकाने वाला फैसला लिया. ऐसे में हाईकमान का ये फैसला कांग्रेस को मुसीबत के इस वक्त में कितना फायदा पहुंचाएगा, ये देखने वाली बात होगी.
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