Bageshwar News Today: बागेश्वर जिले के शंभू नदी क्षेत्र में अचानक से बनी 2 किलोमीटर लंबी झील ने आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों की चिंता बढ़ा दी है. यह झील भूस्खलन के कारण बनी है और इसके प्रभाव से निचले क्षेत्रों में स्थित कई गांवों को खतरा है. 


प्रशासन ने इस झील से होने वाले खतरे के अंदेशे को देखते हुए जांच के आदेश दिए हैं. विशेषज्ञों और निवासियों ने इस झील को लेकर आपदा की आशंका व्यक्त की है. खास तौर पर अरमल, थराली और चमोली के नारायणबगड़ गांवों को इससे नुकसान पहुंच सकता है. 


प्रधान ने देखी थी सबसे पहले झील
इस झील की जानकारी कपकोट ब्लॉक के प्रधान गोविंद सिंह दानू ने सबसे पहले दी थी. दानू ने बताया कि उन्होंने झील को पहली बार तब देखा जब वह पिंडर घाटी में एक नियमित दौरे पर थे. उन्होंने तुरंत जिला अधिकारी को सूचित किया, लेकिन तब इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई. 


प्रधान गोविंद सिंह दानू का कहना है कि यह झील पहले की घटनाओं से अधिक विशाल है और इसके खतरे भी अधिक हैं. इससे पहले 2022 और 2023 में भी इसी प्रकार की घटनाएं हुई थीं, लेकिन यह झील उनसे बड़ी और अधिक खतरनाक है.


गुरुवार को उप-जिला मजिस्ट्रेट अनुराग आर्य ने एक बहु-आयामी जांच टीम का गठन किया, जिसमें सिंचाई, आपदा प्रबंधन, भूविज्ञान और अन्य विभागों के विशेषज्ञ शामिल हैं. इस टीम का मुख्य उद्देश्य झील का व्यापक आंकलन करना है, जिसमें जल स्तर, संरचनात्मक स्थिरता और संभावित आपदाओं का मूल्यांकन शामिल है. 


झील के प्रभाव का आंकलन शुरू
उप-जिला मजिस्ट्रेट अनुराग आर्य ने बताया कि उनका प्राथमिक उद्देश्य झील के प्रभाव का सटीक आंकलन करना और संभावित आपदाओं की रोकथाम के लिए आवश्यक कदम उठाना है. 


इस मामले में एसडीएम ने बताया कि टीम झील का गहन निरीक्षण करेगी, जिसमें जल स्तर की निगरानी, संरचनात्मक मजबूती और भूस्खलन या बाढ़ जैसी संभावित प्राकृतिक आपदाओं की संभावना का अध्ययन किया जाएगा. 


उन्होंने कहा, "हमारा मुख्य लक्ष्य झील के प्रभाव का सही आंकलन करना है ताकि संभावित खतरे से लोगों को बचाया जा सके. इस रिपोर्ट को जल्द से जल्द तैयार कर सरकार को सौंपने के निर्देश दिए गए हैं."


वैज्ञानिकों का मानना है कि भूस्खलन के कारण नदी में मलबा जमा हो रहा है, जिससे जल प्रवाह में रुकावट आती है और एक अस्थिर झील बन जाती है. इस स्थिति से निचले इलाकों में बसे गांवों में बाढ़ का खतरा उत्पन्न हो सकता है.


'ये झील हो सकती विनाशकारी'
जीबी पंत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन एनवायरनमेंट के निदेशक प्रोफेसर सुनील नौटियाल ने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों में बनने वाली ऐसी झीलें अत्यधिक जोखिम भरी होती हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर इस झील पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह झील अपने आसपास के गांवों में विनाशकारी बाढ़ का कारण बन सकती है. 


प्रोफेसर सुनील नौटियाल ने कहा, "इस स्थिति में तत्काल कदम उठाने और गहन अनुसंधान की आवश्यकता है. इस तरह के जोखिम को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता." विशेषज्ञों का मानना है कि भूस्खलन के कारण झील का आकार और बढ़ सकता है, जिससे इससे जोखिम और बढ़ सकता है. 


प्रशासन ने इस बात पर जोर दिया कि जांच के लिए भूवैज्ञानिकों और सिंचाई विभाग के इंजीनियरों को शामिल जाए, जिससे इस झील के प्रभाव का सही आंकलन किया जा सके. यह टीम पानी के प्रवाह और मलबे के संचय पर भी निगरानी रखेगी. अगर समय पर कदम नहीं उठाए गए, तो यह झील आसपास के गांवों में आपदा ला सकती है.


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