Uttarakhand News: उत्तराखंड में बाहरी राज्यों के लोगों द्वारा कृषि भूमि खरीदने और उसका गैर-कानूनी उपयोग करने के मामलों में राज्य सरकार ने सख्त रुख अपनाया है. प्रदेश के विभिन्न जिलों में भू-कानून के उल्लंघन के 430 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं. इन मामलों में जिला प्रशासन की ओर से नोटिस जारी कर कार्रवाई तेज कर दी गई है. सबसे अधिक मामले देहरादून, नैनीताल और चमोली जिलों में दर्ज हुए हैं, जहां बाहरी लोगों ने जमीन खरीदकर कृषि भूमि का व्यावसायिक उपयोग किया है.
भू-कानून के उल्लंघन के सबसे अधिक 196 मामले देहरादून जिले में सामने आए हैं. पछवादून से लेकर मसूरी, रानीपोखरी, मालदेवता, शिमला बाईपास, भोगपुर और सहस्त्रधारा क्षेत्रों में बाहरी लोगों ने बड़े पैमाने पर कृषि भूमि खरीदी. इन जमीनों का उपयोग कृषि के बजाय होटलों, रिजॉर्ट्स और अन्य व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया गया. जिला प्रशासन ने इन मामलों में एसडीएम कोर्ट में केस दर्ज कर दिए हैं और संबंधित लोगों को नोटिस जारी किए गए हैं.
नैनीताल में 64 लोगों पर केस दर्ज
नैनीताल जिले में भी भू-कानून के उल्लंघन के 64 मामले सामने आए हैं. यहां बाहरी राज्यों के लोगों ने बड़े पैमाने पर कृषि भूमि खरीदी और उसका व्यावसायिक उपयोग किया. जिले में कई स्थानों पर रिजॉर्ट्स और होटलों का निर्माण पाया गया. जिला प्रशासन ने इन सभी मामलों में कार्रवाई करते हुए संबंधित लोगों पर केस दर्ज कर दिए हैं.
चमोली और टिहरी में भी धज्जियां उड़ाईं गईं
चमोली जिले में भी भू-कानून के उल्लंघन के कई मामले सामने आए हैं. जिला प्रशासन ने धारा 166 के तहत नोटिस जारी करते हुए पहले चरण में तीन मामलों में कार्रवाई शुरू की है. कर्णप्रयाग और थराली तहसील में बाहरी लोगों द्वारा कृषि भूमि का दुरुपयोग किया गया है.टिहरी जिले में लगभग हर तहसील में भू-कानून की धज्जियां उड़ाई गईं. धनोल्टी, नरेंद्रनगर और टिहरी तहसीलों में भू-कानून उल्लंघन के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए हैं.
उत्तरकाशी और अल्मोड़ा में भी गड़बड़ियां
उत्तरकाशी जिले के मोरी और धौंतरी क्षेत्रों में झारखंड और मुंबई से आए लोगों ने जमीनों की खरीद-फरोख्त की है. यहां एक ही परिवार के कई सदस्यों ने कृषि भूमि खरीदी और उसका उपयोग कृषि के बजाय अन्य उद्देश्यों के लिए किया. ऐसे पांच मामलों में नोटिस जारी किए गए हैं. अल्मोड़ा जिले में भी भू-कानून के 23 मामलों में कार्रवाई की जा रही है. बागेश्वर में 22 मामलों में भूमि खरीद की गड़बड़ियां सामने आई हैं.
पौड़ी जिले में गांवों पर कब्जे की तैयारी
पौड़ी जिले के लैंसडौन, कोटद्वार और यमकेश्वर इलाकों में भी बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां हुई हैं. बाहरी लोगों ने गांवों में जमीन खरीदकर लैंड बैंक तैयार कर लिए. लैंसडौन और कोटद्वार में 11-11 और यमकेश्वर में चार मामलों में नोटिस जारी कर कार्रवाई शुरू कर दी गई है. उत्तराखंड की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि राज्य सरकार भू-कानून के नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करेगी. जिन जगहों पर भू-कानून का उल्लंघन हुआ है.
भू-कानून और सरकार का रुख
उत्तराखंड में भू-कानून के तहत कृषि भूमि खरीदने पर सख्त नियम लागू हैं. बाहरी राज्यों के लोग केवल विशेष परिस्थितियों में ही कृषि भूमि खरीद सकते हैं, वह भी सरकार की अनुमति के बाद. हालांकि, पिछले कुछ सालों में इन नियमों को दरकिनार कर बड़े पैमाने पर जमीनों की खरीद-फरोख्त हुई है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भू-कानून को प्रभावी रूप से लागू करने और मौजूदा कानूनों के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं.
समाज और पर्यावरण पर असर
बाहरी लोगों द्वारा कृषि भूमि का व्यावसायिक उपयोग न केवल भू-कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह स्थानीय समाज और पर्यावरण के लिए भी चिंता का विषय है. पहाड़ी क्षेत्रों में रिजॉर्ट्स और होटलों के निर्माण से प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन हो रहा है. इसके अलावा, स्थानीय निवासियों की आजीविका और पारंपरिक खेती पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है.राज्य सरकार की यह कार्रवाई न केवल भू-कानून को सख्ती से लागू करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है.
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