Madhu Gaon in Uttarakhand: उत्तराखंड सरकार प्रत्येक जिले में मधु ग्राम बनाने जा रही है. इसके लिए न्याय पंचायतों का भी चयन कर लिया गया है. साथ ही प्रत्येक जिलों के लिए बजट भी जारी किया गया है. अब उद्यान विभाग की ओर से किसानों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. दरअसल राज्य सरकार ने स्वरोजगार के लिए 13 जिलों में मधु ग्राम बनाने के लिए न्याय पंचायतों का चुनाव कर लिया है. मधुमक्खी पालन से शहद उत्पादन की संभावनाओं को प्रदेश में देखते हुए सरकार ने मधु ग्राम योजना शुरू की है. उत्तराखंड में शहद उत्पादन की अच्छी संभावनाएं हैं. ऐसे में मधुमक्खी पालन के लिए किसानों को प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिसके बाद प्रत्येक जिले में एक एक मधु ग्राम स्थापित हो सकेंगे.
स्वरोजगार को बढ़ावा देने की कवायद
सरकार ने इस योजना को धरातल पर उतारने के लिए बजट में पहले ही 20 लाख का प्रावधान किया था जिसमें से 10 लाख की राशि जिलों के लिए जारी कर दी गई है. योजना के तहत प्रत्येक न्याय पंचायत में किसानों को 500 मौन बॉक्स दिए जाएंगे. जिसमें केंद्र और राज्य सरकार 80 फीसद की सब्सिडी किसानों को देगी. सरकार का मानना है कि इससे उत्तराखंड में मौन पालन करने के इच्छुक किसानों को अच्छा स्वरोजगार मिलेगा.
अभी उत्तराखंड में 6 हजार से अधिक मौन पालक हैं जो शहद का उत्पादन कर रहे हैं. प्रदेश में क़रीब 2200 सौ मीट्रिक टन शहद का उत्पादन हो रहा है. सालाना उत्तराखंड से 200 करोड़ का शहद निर्यात किया जाता है. अब उत्तराखंड में अगर सभी जिलों में एक-एक मधु ग्राम बनाए जाते हैं तो ऐसे में जहां स्वरोजगार के बड़े अवसर पैदा होंगे वहीं प्रदेश से बड़ी मात्रा में शहद का निर्यात हो सकेगा क्योंकि पहले से ही उत्तराखंड के शहद की बाजार में काफी मांग रही है.
उत्तराखंड के 13 जिलों में मधु ग्राम
उत्तराखंड के 13 जिलों में मधु ग्राम बनाने के लिए न्याय पंचायतें चयनित की गई हैं. नैनीताल के ज्योलीकोट, उधम सिंह नगर के बिगराबाग खटीमा, अल्मोड़ा के असलोगी द्वाराहाट, बागेश्वर के भीलकोट, पिथौरागढ़ के धारचूला, चंपावत के सिप्टी, उत्तरकाशी के नाकुरी डूंगा, टिहरी के बनाली नरेंद्र नगर, पौड़ी के चमराड़ा ख़िरसु, चमोली के कल्याणी नौटी, रुद्रप्रयाग के ऊंचाढूँगी अगस्तमुनि, हरिद्वार के मकदुमपुर नारसन और देहरादून के थाना रायपुर में मधु ग्राम के लिए जगह चिन्हित की गई हैं.