Uttarakhand Madrasa: यूपी में HC का फैसला आने के बाद एक्टिव हुआ उत्तराखंड मदरसा बोर्ड, मान्यता पर क्या बोले अध्यक्ष
Uttarakhand News: हैरानी की बात 2016 में बने उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड को उत्तराखंड बोर्ड के समकक्ष मान्यता नहीं मिली है. ऐसे में मदरसा से पढ़े हजारों बच्चों का भविष्य दांव पर है.
Uttarakhand News: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ की तरफ से यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को असंवैधानिक करार दिए जाने पर उत्तराखंड में भी सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है. वर्तमान में उत्तराखंड में करीब 416 मदरसे संचालित हो रहे हैं.
अलग-अलग सत्र के दौरान मदरसों से अब तक 43186 बच्चे मुंशी, मौलवी, आलिम अरबी फारसी, कामिल, फाजिल की डिग्री प्राप्त कर चुके हैं. मुंशी, मौलवी और आलिम को उत्तराखंड बोर्ड की 10वीं और 12वीं के समकक्ष मान्यता नहीं मिली है. ऐसे में बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है. यूपी के बाद उत्तराखंड का मदरसा बोर्ड हरकत में है.
संकट में मदरसा से पढ़े हजारों बच्चों का भविष्य
उत्तराखंड मदरसा बोर्ड में बेचैनी साफ देखी जा रही है. हालांकि उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट का फैसला उत्तराखंड में लागू नहीं है. लेकिन उत्तराखंड मदरसा बोर्ड में सरगर्मियां देखी जा रही हैं. उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी हैं. अन्ना आंदोलन के दौरान उभरे शमून कासमी को धामी सरकार ने उत्तराखंड मदरसा बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया है.
मदरसा बोर्ड अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी का कहना है कि मान्यता दिलाने का प्रयास किया जा रहा है. कोशिश हो रही है कि मुंशी, मौलवी, आलिम अरबी फारसी, कामिल, फाजिल की डिग्री को मान्यता मिले.
हैरानी की बात 2016 में बने उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड को उत्तराखंड बोर्ड के समकक्ष मान्यता नहीं मिली है. यही वजह है कि मदरसों से पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को मुंशी, मौलवी, आलिम, अरबी, फारसी करने के बाद भी इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.
उत्तराखंड मदरसा बोर्ड से पढ़े बच्चों की डिग्री मान्यता मिले बगैर फिलहाल किसी काम की नहीं है. उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को असंवैधानिक करार दिया है. अदालत का फैसला आने के बाद उत्तराखंड मदरसा बोर्ड अब हरकत में हैं.
उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष ने दिया बयान
मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष का कहना है कि मदरसों को उत्तराखंड बोर्ड से मान्यता दिलाने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है. मदरसों में एनसीईआरटी का कोर्स लागू किया गया है. ताकि समकक्ष मान्यता के लिए सभी मानकों को पूरा किया जा सके. आप को बता दें कि उत्तराखंड में अभी तक मदरसा बोर्ड को मान्यता नहीं होने से हजारों बच्चों की डिग्री किसी काम की नहीं है.
उत्तराखंड मदरसा बोर्ड का गठन 2016 में हुआ, लेकिन उसको उत्तराखंड शिक्षा बोर्ड की तरह मान्यता अभी तक नही मिल पाई है. ऐसे उत्तराखंड मदरसा बोर्ड अब अपना अस्तित्व बचाने के लिए मान्यता दिलाने में जुट गया है. अब सरकार का क्या फैसला होता है, आने वाला समय बताएगा.