Uttarakhand Assembly Election 2022: उत्तराखंड में सियासी हवाएं आज सुबह से ही बीजेपी के विपरीत चल रही थी. ठीक साढ़े ग्यारह बजे इन सियासी हवाओं ने चक्रवात का रूप ले लिया और जो नतीजा सामने था उससे बीजेपी शिविर में सन्नाटा पसर गया. प्रदेश की राजनीति में बड़ा दलित चेहरा और बीजेपी सरकार में कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य अपने नैनीताल से विधायक पुत्र संजीव आर्य के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए. एक जिस तीसरे विधायक के आज ही कांग्रेस में शामिल होने की सूचना थी उसे राहुल गांधी के आवास से बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी बहाने से बुलाकर अपनी गाड़ी में बैठकर ले उड़े. जब बलूनी अपने विधायक को लेकर गए तब रंजीत रावत सरीखे कांग्रेस नेता वहीं पर खड़े थे, लेकिन बलूनी ने उन्हें इतना समय ही नहीं दिया कि कुछ कर सकें. उसके बाद यह विधायक बलूनी के आवास पर ही रहे.
इसी तरह की घटना तक़रीबन पांच साल पहले भी हुई थी जब अपने पुत्र के साथ आर्य कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे. कांग्रेस इसे घर वापसी कह रही है तो बीजेपी इसे अवसरवादी राजनीति का हिस्सा बता रही है, लेकिन यह सब कैसे हुआ अभी तो बीजेपी के लम्बरदार इससे आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं. कांग्रेस के विधायक को तोड़कर भाजपाई पीठ ठोक रहे थे लेकिन कांग्रेस ने तो बीजेपी का मंत्री ही तोड़कर मनोवैज्ञानिक बढ़त ले ली है.
बीजेपी अब लाख सफाई दे लेकिन इससे एक बात तो साफ हो गयी है कि पार्टी के कील कांटे दुरुस्त नहीं हैं. दो निर्दलीय प्रीतम सिंह पंवार व राम सिंह कैड़ा और एक कांग्रेस विधायक राजकुमार को तोड़कर बीजेपी में शामिल करने के बाद इतराते फिर रहे बीजेपी नेताओं को कांग्रेस ने ये जोर का झटका धीरे से दिया. कांग्रेस का एक विधायक बीजेपी ने तोड़ा तो कांग्रेस ने बीजेपी के दो विधायक तोड़कर मनोवैज्ञानिक बढ़त ले ली है. इसमें कोई संदेह नहीं कि राज्य में सत्रह प्रतिशत से ज्यादा दलितों में आर्य की खासी पैठ है. पहाड़ हो या मैदान, आर्य दलितों में स्वीकार्य हैं. आर्य के कांग्रेस में जाने का नुकसान बीजेपी को चुनाव में उठाना पड़ सकता है. हालांकि भाजपाई इस बात को ख़ारिज करने की कोशिश तो कर रहे हैं लेकिन उनकी बात में उतनी प्रासंगिकता नहीं रह गयी है.
कौन हैं यशपाल आर्य?
उत्तर प्रदेश के ज़माने से विधायक बनते आ रहे यशपाल आर्य उत्तराखंड गठित होने के पांच साल विधानसभा अध्यक्ष, विजय बहुगुणा और हरीश रावत सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे और सात साल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे. दलित चेहरे के तौर पर कांग्रेस उनका सदुपयोग करती रही लेकिन बीजेपी में आने के बाद आर्य खुद को उपेक्षित महसूस करते रहे. बीच बीच में आर्य के नाराज़ होने की खबरें भी आती रही और पिछले दिनों मुख्यमंत्री पुष्कर धामी स्वयं यशपाल आर्य के घर गए और उनसे बात की लेकिन बात बनी नहीं. यह फैसला एक दिन में नहीं लिया गया बल्कि इसे लेने में सालों साल लगे.
क्या बोले मदन कौशिक
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि आर्य को बीजेपी ने पूरा सम्मान दिया, लेकिन इतना सम्मान मिलने के बाद भी आर्य क्यों चले गए यह तो वही बता सकते हैं.
एक विधायक बचाकर बलूनी ने बचाई इज्जत
जब रात भर से यह पाला बदल का खेल चल रहा था तब दिल्ली वाले जागे. सुबह जब मंत्री यशपाल आर्य और उनके विधायक पुत्र राहुल गांधी से मिलने उनके आवास पहुंचे तो उनके साथ एक और बीजेपी विधायक था जो इन दोनों के साथ ही आज कांग्रेस ज्वाइन करने वाला था. लेकिन इसी बीच बलूनी अपनी गाड़ी लेकर राहुल गांधी के आवास पहुंचे तो वहां उत्तराखंड के कांग्रेस नेताओं का जमावाड़ा लगा था, एक कांग्रेस नेता के अनुसार उक्त विधायक बाहर निकले तो बलूनी ने उन्हें अपनी गाड़ी में बैठा लिया और समझाते बुझाते अपने आवास ले गए. इस तरह से एक विधायक बचाया जा सका.
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