Uttarakhand Municipal Election News: उत्तराखंड में निकाय चुनाव को लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर है. सरकार इस मामले पर बैकफुट पर नजर आ रही है. निकाय चुनाव को लेकर उत्तराखंड के शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने एबीपी न्यूज़ से कहा कि उत्तराखंड में दो चुनाव नजदीक हैं जिनमें पहला चुनाव निकाय का है और दूसरा चुनाव लोकसभा का है.
उन्होंने कहा कि हम दोनों ही चुनाव के लिए तैयार हैं, लेकिन हर चुनाव को करने से पहले उसकी एक प्रक्रिया होती है जिसे सावधानी पूर्वक किया जाता है. निकाय चुनाव सरकार करना चाहती है, लेकिन उससे पहले निकायों के विस्तार की प्रक्रिया होनी है. साथ ही वोटिंग लिस्ट बननी है. अभी इन सब पर काम चल रहा है और ये प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही चुनाव कराए जा सकते हैं. जिसमें अभी वक्त लगेगा.
उत्तराखंड निकाय चुनाव में होगी देरी
निकाय चुनाव की इस प्रक्रिया में पूरे 2 से 3 महीने लगने की संभावना है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि निकाय चुनाव अब लोकसभा चुनाव के बाद ही कराए जाएंगे. पहले सरकार लगातार यह कहती आ रही थी कि निकाय चुनाव समय पर होंगे, लेकिन अचानक से सरकार ने अपना रुख बदल दिया है.
कुछ दिन पहले नैनीताल हाई कोर्ट ने भी सरकार से जवाब मांगा था कि निकाय चुनाव कब कराए जाएंगे. फिलहाल जल्दी सभी निकायों में प्रशासक बैठा दिए जाएंगे. ये प्रशासक अगले 6 महीने तक निकायों में काबिज रहेंगे और उनकी देखरेख में निकायों के सारे काम होंगे.
बीजेपी संगठन ने सरकार को दी ये सलाह
उत्तराखंड में 1 दिसंबर को नगर निकायों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. जिसके बाद आचार संहिता लगनी थी और चुनाव होने थे, लेकिन विपक्ष का कहना है कि सरकार अभी निकाय चुनाव नहीं कराना चाहती है. सूत्रों की मानें तो भारतीय जनता पार्टी के संगठन ने सरकार को ये राय दी है कि चुनाव अभी न कराया जाए क्योंकि बागेश्वर उपचुनाव के बाद संगठन को ये एहसास होने लगा है कि वोटर धीरे-धीरे संगठन से दूर जा रहे हैं इसलिए इन 6 महीने में वोटर्स को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे. जिससे आने वाले लोकसभा चुनाव और निकाय चुनाव को अपने पक्ष में किया जा सके.
ये भी पढ़ें-