Haridwar: पूरे दो साल के बाद हरिद्वार में धूमधाम से मनाया गया मुल्तान जोत महोत्सव, देशभक्ति के रंग में डूबे दिखे लोग
Uttarakhand News: बता दें कि 1911 के बाद से लगातार यह महोत्सव मनाया जा रहा है. देश के कोने-कोने से मुल्तान समाज के लोग इकट्ठा होते हैं और समाज में भाईचारे और एकता कायम रहने की प्रार्थना करते हैं.
Multan Jot Mahotsav: दो साल के लंबे अंतराल के बाद हरिद्वार में इस बार मुल्तान जोत महोत्सव धूमधाम से मनाया गया. पिछले दो साल से कोरोना के कारण ये महोत्सव सांकेतिक रूप से मनाया जा रहा था. हर क़ी पौड़ी पर रविवार को सतरंगा माहौल दिखाई दिया, सतरंगे माहौल में देश के अलग-अलग स्थानों से आकर मुल्तान समाज के लोगों ने हर क़ी पौड़ी के धार्मिक माहौल को रंगीन कर दिया. पहले मां गंगा के साथ उन्होंने जमकर दूध क़ी होली खेली और फिर मां गंगा की आराधना की. इस दौरान मुल्तान समाज के लोग हाथ में तिरंगा झंडा लेकर देशभक्ति के रंग में रंगे दिखाई दिए.
क्या है मुल्तान जोत महोत्सव
बता दें कि सन् 1911 में पकिस्तान में रहने वाले व्यापारी लाला रूपचंद ने पैदल आकर हरिद्वार में मां गंगा में जोत प्रवाहित क़ी थी. असल में लाला रूपचंद क़ी दस औलाद थीं, लेकिन उनकी कोई भी औलाद बच नहीं पाई. एक दिन जब उनकी लड़की को गंभीर चोट लगी तो फिर उन्हें लगा क़ी उनकी यह औलाद भी बच नहीं पायेगी, फिर उन्हें किसी ने कहा क़ी अगर वे पैदल चलकर हरिद्वार जाएं और वहां मांग गंगा की आरती कर उनका आशीर्वाद लें तो उनके सारे दुख दूर हो जाएंगे. इस पर लाला जी मुल्तान से जोत को लेकर हरिद्वार आये थे और उनकी कामना पूरी हुई थी. लाला रूपचंद के द्वारा शुरू क़ी गई यह यात्रा आज परंपरा का रूप ले चुकी है. मुल्तान जोत महोत्व के रूप में मुल्तान समाज के लोग मां गंगा से दूध की होली खेलकर देश और समाज की खुशहाली और गंगा मां की रक्षा और गंगा को पवित्र रखने की कमाना करते हैं.
भाईचारे की परंपरा को कायम रखने की कोशिश
इस मौके पर अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन के अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नागपाल ने बताया कि पाकिस्तान से शुरू हुई इस यात्रा में आज भले ही देश के अलग-अलग हिस्सों से मुल्तान समाज के लोग आकर इकट्ठा होते हों, लेकिन पहले की तरह आज भी लोग लाला रूपचंद जी की याद करते हुए जोत महोत्सव को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं. रूपचंद की उस पहल को परंपरा का रूप देने के लिए लोग यहां पहुंचते हैं. नागपाल ने कहा कि रूपचंद जी ने भाईचारे और आपसी सोहार्द की जो मिशाल कामय की थी उसे आज भी बरकरार रखने का प्रयास किया जा रहा है.
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