Joshimath Sinking: उत्तराखंड के सीमांत शहर जोशीमठ में हो रहा भू-धसाव को लेकर अब राज्य सरकार हरकत में आई है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा शनिवार को मौके पर जाकर निरीक्षण किया गया. साथ ही कई वैज्ञानिक की टीमें इसको लेकर रिसर्च भी कर रही हैं कि आखिर इस तरह से भू-धसाव क्यों हो रहा है. हरिद्वार पहुंचे उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि सरकार इस पर अपनी नजर बनाए हुए है. जोशीमठ का क्षेत्र अब रहने लायक नहीं लग रहा है लोगों को विस्थापित करने की रूपरेखा भी तैयार की जा रही है.


कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी का कहना है कि जोशीमठ में हो रहा भू-धसाव पर उत्तराखंड सरकार पूरा संज्ञान ले रही है. तीन दिन से तमाम अधिकारी मौके पर मौजूद हैं. वैज्ञानिक की टीम भी वहां रिसर्च कर रही है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद मौके पर पहुंचे. जोशीमठ की अब जो स्थिति दिखाई दे रही है वह लोगों के रहने लायक नहीं है, उनको विस्थापित करने का कार्य सरकार कर रही है. 6 महीने तक लोगों को चार हजार रहने का किराया सरकार द्वारा दिया जाएगा. इसके साथ उनको जो भी व्यवस्था चाहिए होगी वो सब सरकार की जिम्मेदारी होगी. राज्य सरकार के साथ ही केंद्र की सरकार ने भी इसका संज्ञान लिया है. जल शक्ति मंत्रालय की टीम ने मौके पर निरीक्षण किया है.


600 परिवार विस्थापित
जोशीमठ में लगभग 600 प्रभावित परिवारों को तत्काल सुरक्षित स्थानों पर भेजे जाने का निर्देश देने के एक दिन बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जमीनी स्थिति का जायजा लेने के लिए शनिवार को जोशीमठ का दौरा किया. मुख्यमंत्री ने उन घरों का भी दौरा किया, जिनकी दीवारों और छत में चौड़ी दरारें आ गई हैं. वहीं जोशीमठ के संकट को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग को लेकर एक साधु ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया, ‘‘मानव जीवन और उनके पारिस्थितिकी तंत्र की कीमत पर किसी भी विकास की आवश्यकता नहीं है और अगर ऐसा कुछ भी हो रहा है तो यह राज्य और केंद्र सरकार का कर्तव्य है कि इसे तुरंत रोका जाए.’’


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