Phool Dei 2024: देवभूमि उत्तराखंड अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, यहां सब कुछ प्राकृति से जुड़ा है. यहां हर पर्व को बडे़ ही हर्षोंल्लास के साथ मनाया जाता है. उत्तराखंड का ऐसा ही एक पर्व फूल देई है, जिसे उत्तराखंड में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश वासियों को फूल देई लोकपर्व की बधाई दी है. साथ ही सीएम आवास में भी फूल देई पर्व को मनाया गया है.
फूल देइ पर्व के मौके पर रंग बिरंगे परिधानों में सजे बच्चों ने देहरी में फूल व चावल बिखेरकर पारंपरिक गीत 'फूल देई छमा देई, जतुक देला, उतुक सई, फूल देई छमा देई, देड़ी द्वार भरी भकार' गाते हुए त्योहार की शुरुआत की. इस अवसर पर मुख्यमंत्री धामी ने सीएम आवास पहुंचे बच्चों को आशीर्वाद देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की. मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को फूल देई के त्योहार की शुभकामनायें देते हुए देश व प्रदेश की सुख-समृद्धि की कामना की. साथ ही उन्होंने कहा कि लोकपर्वों का हमारे जीवन में विशेष महत्व है.
इस वजह से मनाया जाता है फूलदेई पर्व
हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास ही हिंदू नववर्ष का पहला महीना होता है. इस त्योहार को खासतौर से बच्चे मनाते हैं और घर की देहरी पर बैठकर लोकगीत गाने के साथ ही घर-घर जाकर फूल बरसाते हैं फूलदेई से जुड़ी एक पौराणिक कथा भी है जिसके अनुसार एक समय की बात है जब पहाड़ों मं घोघाजीत नामक राजा रहता था. इस राजा की एक पुत्री थी जिसका नाम था घोघा. घोघा प्रकृति प्रेमी थी. एक दिन छोटी उम्र में ही घोघा लापता हो गई.
कहा जाता है कि घोघा के गायब होने के बाद से ही राजा घोघाजीत उदास रहने लगे. तभी कुलदेवी ने सुझाव दिया कि राजा गांवभर के बच्चों को वसंत चैत्र की अष्टमी पर बुलाएं और बच्चों से फ्योंली और बुरांस देहरी पर रखवाएं. कुलदेवी के अनुसार ऐसा करने पर घर में खुशहाली आएगी. इसके बाद से ही फूलदेई मनाया जाने लगा तब से आज तक उत्तराखंड में इस त्योहार को बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है.
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