Uttarakhand News: दीपावली के बाद देहरादून और ऋषिकेश की हवा हुई साफ, AQI में आया सुधार
Uttarakhand: दिवाली के दिन देहरादून और ऋषिकेश वायु प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ा था. देहरादून का AQI 300 से ऊपर चला गया था. हालांकि दो दिन बाद स्थिति में सुधार हुआ.
Dehradun AQI: दीपावली पर हुई आतिशबाजी के बाद देहरादून और ऋषिकेश में वायु प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ा था, जिससे शहर की आबोहवा पर बुरा असर पड़ा. दीपावली के दिन देहरादून में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 300 से भी ऊपर चला गया था, जो हवा की बहुत खराब स्थिति को दर्शाता है. हालांकि, दो दिन बाद रविवार को स्थिति में सुधार हुआ और राजधानी का AQI 133 पर आ गया, जिससे प्रदूषण के स्तर में काफी गिरावट दर्ज की गई.
स्वच्छ हवा के लिए पहचाने जाने वाले दून की आबोहवा में यह सुधार राहत की खबर लेकर आया है. दीपावली के बाद यहां की हवा खराब श्रेणी में आ गई थी, लेकिन दो दिनों के भीतर ही इसमें उल्लेखनीय सुधार हुआ है. वायु प्रदूषण पर नजर रखने वाले प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी अमित पोखरियाल ने कहा कि इस बार दीपावली के बाद प्रदूषण का स्तर पिछले वर्षों की तुलना में अपेक्षाकृत कम रहा. इसके बावजूद, आतिशबाजी से उत्पन्न प्रदूषण के कारण दो दिन तक शहर की हवा खराब श्रेणी में रही.
पीएम 2.5 स्तर में भी गिरावट
पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 का स्तर, जो हवा में सूक्ष्म कणों का माप है, दीपावली पर 500 तक पहुंच गया था. यह स्तर स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक माना जाता है, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और सांस संबंधी समस्याओं वाले लोगों के लिए. दो दिन के अंतराल में यह स्तर भी गिरकर 133 से 250 के बीच दर्ज किया गया. विशेषज्ञों का कहना है कि हवा में स्थिरता बढ़ने और क्षेत्रीय उपायों के चलते यह सुधार देखने को मिला है.
ऋषिकेश, जहां दीपावली के दौरान वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी हुई थी, अब प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों के चलते बेहतर स्थिति में आ गया है. ऋषिकेश में ड्रोन के माध्यम से पानी के छिड़काव का प्रयोग किया गया, जिससे वायु में मौजूद कण नीचे बैठ गए और हवा की गुणवत्ता में तेजी से सुधार हुआ. रविवार को ऋषिकेश का AQI स्तर 84 पर दर्ज किया गया, जो अच्छे और मध्यम श्रेणी में आता है. PM 2.5 का स्तर भी 84 से 98 के बीच रहा, जो वायु गुणवत्ता के हिसाब से सुरक्षित मानी जाती है.
प्रदूषण नियंत्रण उपायों का असर
देहरादून और ऋषिकेश में प्रदूषण नियंत्रण के कई उपाय किए गए थे, जिनमें ड्रोन से पानी का छिड़काव और सड़कों पर नियमित सफाई शामिल है. विशेषज्ञों का मानना है कि पानी के छिड़काव से वायु में मौजूद सूक्ष्म कणों का स्तर कम करने में मदद मिलती है, जिससे हवा की गुणवत्ता में सुधार होता है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी ने बताया कि समय पर उठाए गए इन कदमों का असर साफ दिखाई दे रहा है. दीवाली के बाद वायु गुणवत्ता में सुधार के पीछे सरकारी प्रयासों के साथ-साथ मौसम का भी सकारात्मक योगदान रहा है.
दीपावली के बाद वायु प्रदूषण के कारण उत्पन्न चिंताओं के बीच हवा की गुणवत्ता में सुधार सभी के लिए राहत लेकर आया है. विशेषज्ञों के अनुसार, उत्तराखंड जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में स्वच्छ हवा और पर्यावरण संरक्षण के लिए सतर्कता बरतना आवश्यक है. पर्व-त्योहारों के दौरान बढ़ने वाले प्रदूषण पर नियंत्रण बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन प्रभावी कदमों से इस पर काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है.
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी अमित पोखरियाल ने कहा कि इस बार दीवाली पर प्रदूषण का स्तर पिछले वर्षों की तुलना में काफी कम रहा. प्रदूषण को कम करने के लिए ड्रोन का प्रयोग, सड़कों पर पानी का छिड़काव और अन्य नियंत्रण उपायों का सकारात्मक असर दिखाई दिया है. उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में भी इसी प्रकार के कदम उठाए जाएंगे.
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