Uttarakhand: शत्रु संपत्ति पर काबिज लोगों को DM का अल्टीमेटम, 15 दिनों में अवैध कब्जा छोड़ने का आदेश
Dehradun News: शत्रु संपत्ति को लेकर उत्तराखंड सरकार सख्त रुख अख्तियार किए हुए है. देहरादून डीएम ने शत्रु संपत्ति पर काबिज लोगों को 15 दिनों में कब्जा छोड़ने को कहा है.
Enemy Property Act: सीएम पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) शत्रु संपत्ति (Enemy Property) को लेकर सख्त नजर आ रहे हैं. शत्रु संपत्ति को लेकर देहरादून कलेक्टर सोनिका ने बड़ा आदेश दिया है. उन्होंने आदेश देते हुए काबिज लोगों को 15 दिनों में अवैध कब्जा छोड़ने को कहा है. मियाद के खत्म होते ही जिला प्रशासन बलपूर्वक संपत्ति को खाली करवाएगा. यह मामला 40 साल से जिला अधिकारी अदालत में चल रहा था.
संपत्ति को खुर्द-बुर्द करने के लगते रहे आरोप
नैनीताल में मेट्रोपोल शत्रु संपत्ति को सरकार द्वारा कार्य कराए जाने के बाद से देहरादून में भी शत्रु संपत्तियों को लेकर खाली करवाने के लिए शासन प्रशासन पर केंद्रीय गृह मंत्रालय से दबाव बना हुआ था. देहरादून में काबुल के राजा से जुड़ी इस शत्रु संपत्ति के मामले में हाई कोर्ट के निर्देश पर डीएम देहरादून की अदालत में सुनवाई चल रही थी. जिसमें संपत्ति पर काबिज और अन्य दावेदारों को सुना गया था.
उक्त संपत्ति का मलिक केंद्रीय गृह मंत्रालय है. जिसकी देखरेख की जिम्मेदारी जिला प्रशासन के द्वारा की जाती है. इस संपत्ति को खुर्द-बुर्द करने के आरोप लगते रहे हैं. संपत्ति पर लोगों ने फर्जी तरीके से अपना मलिक हक दिखाया था. यह मामला पिछले 40 साल से देहरादून डीएम की अदालत में चल रहा था.
फर्जी दस्तावेज से सरकार को दे चुके हैं धोखा
देहरादून में 1879 के समय काबुल के राजा मोहम्मद याकूब खान देहरादून आकर बसे थे. यहां उनकी संपत्ति थी. 1924 में उनकी मौत हो गई उनके वंशज बंटवारे के दौरान विदेश चले गए. बाद में वह पाकिस्तान के नागरिक हो गए. उनके पारिवारिक मित्र रहे मोहम्मद आलम खान यूपी में और देहरादून में रहते हैं. उनका कहना है कि सरकार इस संपत्ति को अपने कब्जे में लेकर जनहित के कामों में लगाए.
काबुल के राजा के फर्जी रिश्तेदार सहारनपुर, देहरादून में पैदा होते गए और वह अब देहरादून की शत्रु संपत्तियों पर फर्जी दस्तावेज बनाकर अपने दावे करते आ रहे हैं. इनमें से मोहम्मद शाहिद, मोहम्मद खालिद, अब्दुल रजाक का एक ग्रुप है. दूसरा आरिफ खान और तीसरा तारीख अख्तर का है. जो कि 23 शत्रु संपत्तियों की कब्जेदारी को लेकर रजिस्ट्री भी करके सरकार को धोखा दे चुका है. इस मामले में एफआईआर भी दर्ज हुई थी लेकिन आज तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई.
सीएम धामी ने अख्तियार किया सख्त रुख
प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शत्रु संपत्ति के मामले में सख्त रूप अपनाया हुआ है. उन्होंने डीएम सोनिका को शख्त निर्देश दिया था कि जो भी इन संपत्तियों पर अपने कब्जे लेकर उनकी हद बनाए हुए और बोर्ड लगाए हैं इस संपत्तियों को देहरादून के हित में उपयोग में लें. अब देहरादून की डीएम सोनिका के इस फैसले के बाद हजारों करोड़ों की इन शत्रु संपत्तियों को राज्य सरकार अपने कबजे में लेगी. इन सब संपत्तियों की कीमत हजारों करोड़ों की बताई जाती है.
क्या है शत्रु संपत्ति अधिनियम
बता दें कि आजादी के बाद जो लोग भारत से पाक जाकर बस गए उनकी संपत्तियों को भारत सरकार ने शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया. भारत सरकार द्वारा इस संबंध में आदेश 10 सितंबर 1959 में जारी किया गया था. वहीं शत्रु संपत्ति के संबंध में दूसरा आदेश 18 दिसंबर 1971 को जारी किया गया था.
देश भर में ऐसी सभी संपत्तियां शत्रु संपत्ति स्वत: घोषित हो गईं. 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्धों के मद्देनजर, भारत से लोगों का पाकिस्तान में प्रवास हुआ था. भारत की रक्षा अधिनियम, 1962 के तहत बनाए गए भारत रक्षा नियमों के तहत, भारत सरकार ने पाकिस्तानी राष्ट्रीयता लेने वालों की संपत्तियों और कंपनियों को अपने कब्जे में ले लिया.
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