Corbett National Park: 47 वर्षों के बाद रिटायर हुई हथिनी गोमती, गस्त से लेकर रेस्क्यू अभियान में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
Nainital News: कॉर्बेट पार्क के वनों और वन्य जीवों की सुरक्षा का जिम्मा वन कर्मचारीयों के साथ ही पालतू हाथियों और स्निफर डॉगस पर भी है. 47 साल की सेवा के बाद अब हथिनी गोमती को रिटायर कर दिया गया है.
Uttarakhand News: उत्तराखंड के नैनीताल जिले में आने वाले कॉर्बेट पार्क में 47 वर्षों तक अपनी सेवा दे चुकी गोमती हथिनी को रिटायर कर दिया गया है. हथिनी गोमती को कार्बेट पार्क प्रशासन ने पूरे सम्मान के साथ वन्यप्राणी सप्ताह के चौथे दिन मनाया जाने वाले हाथी दिवस पर रिटायर कर दिया. गोमती ने पार्क प्रशासन के साथ वन्यजीवों की सुरक्षा के रूप में 47 साल तक सेवा दी. जबकि गोमती के साथ-साथ स्निफर डॉगस ब्रांडी को जिसने 8 साल तक जो कर्मचारियों के साथ पार्क की सुरक्षा में तैनात रहे उसको भी आज रिटायर कर दिया गया.
बता दें कि कॉर्बेट नेशनल पार्क में वनों और वन्यजीवों की सुरक्षा में कर्मचारियों की मदद के रूप में अन्य वन्यजीव भी तैनात रहते हैं. अब चाहे वह जंगलों में मॉनसून की गस्त हो या फिर पोचर्स (शिकारियों) से वन्यजीवों को बचाने के लिए की जाने वाली गस्त या फिर हमलावर होते बाघ या गुलदार को ट्रेंकुलाइज करने के लिए चलाए जाने वाला रेस्क्यू अभियान, इन सभी में वन्यजीव भी कर्मचारियों की मदद में हमेशा तैनात रहते हैं. जिसमे गोमती ने 47 वर्षों तक अपना योगदान दिया. गौरतलब है कि 65 वर्षीय हथनी कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में पिछले 47 वर्षों से अपनी सेवा दे रही है.
एक बार बचाई थी महावत की जान
हथिनी गोतमी को 18 वर्ष की आयु में लखनऊ से कॉर्बेट पार्क लाया गया था, तब से गोमती कर्मचारी की तरह ही पूरी भूमिका निभा रही है. वहीं गोमती हाथी के महावत फारुख खान भी खुश दिखे कि गोमती स्वस्थ रूप में रिटायर हो रही है, इस दौराव वह कहते हैं कि एक बच्चे की तरह ही उसके साथ उनका लगाव है और आगे भी ऐसे ही उसकी सेवा करेंगे. पूर्व में गोमती हथिनी के महावत रहे सूबेदार अली ने कहा कि गोमती ने एक बार बाघ के हमले से उनकी जान बचाई थी, जब बाघ ने हमला कर उन्हें घायल कर दिया तो गोमती ने 2 घंटे के सफर को 20 मिनट में तय कर उन्हें अस्पताल पहुंचाया था. जिससे उनकी जान बच पाई थी.
47 साल की सेवा के बाद हुई रिटायर
वहीं जानकारी देते हुए कॉर्बेट पार्क के निदेशक डॉ धीरज पांडे ने बताया कि आज 47 वर्षों बाद गोमती को रिटायर किया गया है. उन्होंने बताया कि एलीफैंट गाइडलाइन के मुताबिक, 65 से ज्यादा उम्र के हाथी से कार्य नहीं करवाया जा सकता है, अब इससे हल्का फुल्का कार्य लिया जाएगा, जिसमें घास लाना आदि जैसे कार्य. वहीं एक स्निफर डॉग ब्रांडी जो 8 वर्षों से अपनी सेवा दे रहा है, उसे भी विभाग की चौकियों में रखा जाएगा.
यह भी पढ़ेंः
Uttarakhand: उत्तराखंड के मदरसों में अब बच्चों को पढ़ाएंगे वेद और पुराण- बोले मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष