Dehradun News: देवभूमि उत्तराखंड इन दिनों जंगलों में आग की समस्या से जूझ रहा है. चमोली, चकराता, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा और नैनीताल हर जगह आग का तांडव दिखाई दे रहा है. कुमाऊँ और गढ़वाल मंडल दोनों ही हिस्से इस समय आग से जल रहे हैं. लाखों की वन संपदा भी जलकर खाक हो गई है. अभी तक कुल 1385.848 हैक्टेयर क्षेत्र वनाग्नि से प्रभावित हुआ है.
जंगल की आग से जहां हवा में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बहुत बढ़ गई है, तो वहीं जंगलों में लगी आग के कारण विभिन्न प्रजातियों, वनस्पतियों समेत पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचा है. प्रदेश के जंगलों में आग की लगातार बढ़ती घटनाओं ने सभी को चिंता में डाल दिया. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए.बुधवार को देहरादून सचिवालय में एक उच्चस्तरीय बैठक की. उन्होंने कहा कि फायर लाइन बनाने की कार्रवाई में वह स्वयं भी हिस्सा लेंगे. उन्होंने कहा कि इसमें जनप्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाए.
सीएम धामी ने अधिकारियों को किया निर्देशित
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि वनाग्नि को पूर्णतः रोकने के लिए सभी सचिवों को अलग-अलग जिलों की जिम्मेदारी दी जाए. उन्होंने कहा कि सभी सचिव संबंधित जनपदों में जाकर वनाग्नि से प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण करें और इसे रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाएं. उधर, मुख्यमंत्री धामी ने रुद्रप्रायग में पिरूल हटाकर जनजागरूकता का संदेश भी दिया. मुख्यमंत्री के सख्त रुख के बाद आग लगाने वालों के विरुद्ध 390 मुकदमे दर्ज कर 64 व्यक्तियों की गिरफ्तारी भी की जा चुकी है.
वहीं दूसरी तरफ, लापरवाही बरतने पर 10 कार्मिकों को निलंबित कर 7 के अटैचमेंट व अन्य कार्रवाई भी की जा चुकी है. अभी तक वनाग्नि में 5 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 4 लोग झुलसकर घायल भी हो चुके हैं. उत्तराखंड के जंगलों की आग का मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. इतना ही नहीं, जंगल की आग बुझाने के लिए भारतीय वायुसेना की भी मदद ली जा रही है. वन विभाग की टीमें और ग्रामीणों के साथ-साथ वन प्रहरी जंगलों की आग बुझाने में लगे हुए हैं. बावजूद इसके जंगल की आग शांत होने का नाम नही ले रही है.
आग सिर्फ जंगल तक ही सीमित नहीं रही है, बल्कि इसने कई मंदिर, बैंक, खेतों, सरकारी स्कूलों और भवनों के साथ साथ वन विभाग की नर्सरी को भी जला दिया है. वही पिछेल तीन दिनों से पौड़ी जिले में श्रीनगर और उसके आसपास के इलाकों में जंगल में आग लगी हुई है, जिस पर काबू पाने के लिए वायुसेना को मोर्चा संभालना पड़ा. पौड़ी जिले में वायुसेना का वनाग्नि बुझाने का अभियान बुधवार तीसरे दिन भी जारी है. वायुसेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टर ने अदवाणी, खिरसू और चोरकंडी में आग बुझाई है.
आग बुझाने में जुटी वायुसेना
वायुसेना ने पौड़ी में जंगल की आग बुझाने का अभियान 6 मई से शुरू किया था. बुधवार को मुख्य वन संरक्षक गढ़वाल नरेश कुमार पौड़ी पहुंचे. उन्होंने बताया कि बेकाबू हो रही वनाग्नि की घटनाओं पर काबू पाने के प्रयास लगातार जारी हैं. सड़कों के आसपास फैली आग जब ऊंची पहाड़ियों तक पहुंच रही है, तो फिर जंगल की आग को काबू कर पाना वन विभाग के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण हो रहा है. ऐसे में वायुसेना के हेलीकॉप्टर से मदद ली जा रही है. एमआई 17 हेलीकॉप्टर पानी के बकट से ढाई हजार लीटर पानी एक रांउड में छोड़ रहा है. वन विभाग की टीम भी मुस्तैदी के साथ वनाग्नि को नियंत्रित करने के प्रयास कर रही है.
बुधवार शाम को जारी वनाग्नि बुलेटिन में जानकारी दी गई है कि 1 मई 2024 से लेकर 8 मई 2024 तक गढ़वाल मंडल में आरक्षित क्षेत्र में 203 वनाग्नि की घटनाएं हुई हैं. जबकि सिविल वन पंचायत में 180 घटनाएं हुई हैं. यानी गढ़वाल क्षेत्र में इन दिनों को मिलाकर 383 कुल अग्नि घटनाएं हुई हैं. जबकि प्रभावित क्षेत्र की बात करें तो उसमें गढ़वाल मंडल में आरक्षित वन 300.975 हेक्टेयर है. जबकि सिविल वन पंचायत 168. 78 हैक्टेयर है. वनाग्नि से गढ़वाल का 459.755 हैक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है. कुमाऊँ मंडल आरक्षित क्षेत्र में 404 वनाग्नि की घटनाएं हुई हैं. जबकि सिविल वन पंचायत में 167 घटनाएं हुई हैं. कुमाऊँ क्षेत्र में कुल 571 अगलगी की घटनाएं हुई हैं.
प्रभावित क्षेत्र की बात करें तो उसमें कुमाऊँ मंडल में आरक्षित वन 532.5125 हेक्टेयर है, जबकि सिविल वन पंचायत 276.55 हैक्टेयर है. वनाग्नि से कुमाऊँ का 809.0625 हैक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है. वन्यजीवों का आरक्षित क्षेत्र में प्रभावित होने की 67 घटनाएं हुई हैं और सिविल वन पंचायत में 17. इसका कुल आंकड़ा 84 है. जबकि आरक्षित वन में ये संख्या 88.23 है. सिविल वन पंचायत में 18.8 है. इसका कुल आंकड़ा 107.03 है. गढ़वाल मंडल, कुमाऊँ मंडल और वन्यजीवों की क्षति का आंकड़ा 674 है,जबकि सिविल वन पंचायत में कुल आंकड़ा 364 है. यानी अभी तक कुल मिलाकर 1038 आग की घटनाएं हुई हैं. गढ़वाल और कुमाऊँ को मिलाकर कुल 921.7175 हैक्टेयर वनक्षेत्र प्रभावित हुआ है. सिविल वन पंचायत में 464.13 हैक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है. अभी तक कुल 1385.848 हैक्टेयर क्षेत्र वनाग्नि से प्रभावित हुआ है.
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