Rudraprayag News: पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने केदारनाथ यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों की मौत पर दुख जाहिर किया. उन्होंने कहा कि केदारनाथ यात्रा में घोड़े-खच्चरों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और घोड़ा-खच्चर संचालक इनकी कोई देखभाल नहीं कर रहे हैं. सुबह से सांय और रात के समय भी पैदल मार्ग पर घोड़े-खच्चर दौड़ाये जा रहे हैं. आराम नहीं मिलने से उनकी मौत हो रही है. ऐसे संचालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी.
जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग पहुंचने पर पशुपालन, दुग्ध विकास, मत्स्य पालन, गन्ना विकास, चीनी उद्योग, प्रोटोकॉल, कौशल विकास एवं सेवायोजन मंत्री सौरभ बहुगुणा का जिला पंचायत अध्यक्ष अमरदेई शाह ने स्वागत किया. इसके बाद पशुपालन मंत्री मुख्यालय स्थित जीएमवीएन के रुद्रा कॉम्प्लेक्स पहुंचे. यहां उन्होंने अधिकारियों की बैठक लेते हुए कहा कि उन्हें केदारनाथ यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों की मौत की सूचना मिल रही है. अब तक यात्रा मार्ग पर 70 घोड़े-खच्चरों की मौत हो चुकी है, जो दुख का विषय है. केदारनाथ यात्रा को सुव्यवस्थित ढंग से संचालित करने और यात्रा मार्ग में संचालित हो रहे घोडे खच्चरों का स्वास्थ का विशेष ध्यान रखा जाए. यदि कोई घोड़ा खच्चर कमजोर एवं अनफिट है तो उसका यात्रा मार्ग में संचालन न किया जाय.
मंत्री सौरभ बहुगुणा ने अधिकारियों को दिए ये निर्देश
मंत्री सौरभ बहुगुणा ने जिलाधिकारी एवं संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि केदारनाथ यात्रा मार्ग में संचालित हो रहे घोड़े खच्चरों का समुचित ध्यान रखा जाए और यात्रा मार्ग में पीने के पानी की उचित व्यवस्था की जाए. पशुचरहियों की उचित साफ-सफाई करते हुए खच्चरों के लिये गर्म पानी व उनके चारे-दाने की समुचित व्यवस्था की जाए. जिससे घोड़े खच्चरों की हो रही मृत्यु को कम किया जा सके. उन्होंने कहा कि केदारनाथ यात्रा मार्ग में लगभग दस हजार घोड़े खच्चर हैं, जिसमें आठ हजार पांच सौ का ही रजिस्ट्रेशन किया गया है. उन्होंने कहा कि एक दिन में पचास प्रतिशत ही घोड़े खच्चरों का संचालन किया जाए और घोड़े खच्चरों को एक दिन का अनिवार्य रूप से आराम दिया जाए.
सौरभ बहुगुणा ने जिला प्रशासन को यात्रा मार्ग में एक फोर्स तैनात करने के निर्देश दिए, जिसमें 20 लोगों शामिल किये जांए. जिनका कार्य यह रहेगा कि वे यात्रा मार्ग में संचालित घोड़े खच्चरों को उनके मालिकों एवं हाॅकरों द्वारा समय-समय पर दाना, चारा, पानी उपलब्ध कराया जा रहा है या नहीं. इसके साथ ही उन्होंने पांच सदस्यों की टीम भी गठित करने के निर्देश दिये, जिसमें पशु चिकित्सक, पुलिस, जिला पंचायत एवं जिला प्रशासन के लोग शामिल होंगे. जिनका कार्य होगा कि यात्रा मार्ग में संचालित हो रहे घोडे़-खच्चरों का निरन्तर निगरानी करते हुए जांच करेंगें और जांच में घोड़ा खच्चर कमजोर पाया जाता है तो यात्रा मार्ग में उसका संचालन न किया जाए.
यदि यात्रा मार्ग में घोड़े खच्चर की मृत्यु होने पर जांच रिपोर्ट में पाया जाता है कि उसकी मृत्यु उचित दाना-पानी न मिलने व भूख के कारण हुई है तो घोड़े खच्चर मालिक एवं होकर के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की जाए और घोड़े खच्चर के बीमा का पैंसा भी न दिया जाए. उन्होंने यह भी निर्देश दिए है कि कमजोर घोड़े-खच्चरों के लिये उचित दाने एवं चारे की व्यवस्था पशुपालन विभाग द्वारा कराई जायेगी. जिसके लिये धनराशि उन्हें उपलब्ध कराई जायेगी और घोड़े खच्चरों को उचित दाम पर दाना-चारा उपलब्ध कराया जाय और घोड़ा खच्चर जब तक स्वस्थ नहीं होता है, तब तक उन्हें यात्रा मार्ग में संचालित न किया जाए. साथ ही डॉक्टरों द्वारा स्वस्थ प्रमाण पत्र जारी होने पर ही घोड़े खच्चरों का संचालन किया जायेगा.
बैठक के बाद पशुपालन मंत्री पत्रकारों से भी मुखातिब हुए और फिर वे गुलाबराय मैदान से हेलीकाॅप्टर के जरिये सोनप्रयाग पहुंचे. यहां उन्होंने गौरीकुंड घोड़ा-पड़ाव का निरीक्षण किया और यात्रा में तैनात अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए. इसके बाद पशुपालन मंत्री देहरादून के लिए रवाना हो गए.
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