Uttarakhand News: उत्तराखंड में बढ़ा भूस्खलन का ग्राफ, 2 लाख बिल्डिंग खतरे की जद में, ये इलाके संवेदनशील
Uttarakhand Landslide: उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग इसको लेकर साल 2016 में वर्ल्ड बैंक (World Bank) की मदद से अध्ययन कर चुका है, जिसकी पूरी रिपोर्ट 2018 में तैयार की गई थी.
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Uttarakhand News: चमोली (Chamoli) जिले के जोशीमठ में हुए भू धंसाव ने सबकी चिंता बढ़ा दी है, लेकिन वैज्ञानिकों का अध्ययन बताता है कि जोशीमठ ही नहीं बल्कि उत्तराखंड के करीब 50 प्रतिशत हिस्से में भूस्खलन के कई ऐसे क्षेत्र हैं, जो बेहद ही संवेदनशील हैं. अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि राज्य में अब तक 6,536 लैंडस्लाइड जोन चिन्हित किये जा चुके हैं, ये उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य के लिए किसी बड़े खतरे से कम नहीं माने जा सकते हैं.
उत्तराखंड में कई ऐसे जोन चिन्हित हैं जो भूस्खलन के लिहाज से बेहद संवेदनशील हैं. वहीं चमोली जिले की जोशीमठ आपदा ने एक बार सबको आगाह करने का काम कर दिया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में दो हजार मीटर से चार हजार मीटर तक की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में 50 से 60 प्रतिशत तक ढलान क्षेत्रों में भूस्खलन का खतरा हो सकता है.
उत्तराखंड में भूस्खलन का ग्राफ बढ़ा
दरअसल, उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग इसको लेकर साल 2016 में वर्ल्ड बैंक की मदद से अध्ययन कर चुका है, जिसकी पूरी रिपोर्ट 2018 में तैयार की गई थी. इस सर्वे में पांच नदियों की घाटियों पर रिस्क असेसमेंट किया गया था. इस रिपोर्ट से पता चलता है कि उत्तराखंड में बढ़ते लैंडस्लाइड जोन किसी बड़े खतरे से कम नहीं हैं. इसके पीछे महत्वपूर्ण कारणों में पहाड़ों पर हो रहे विकास कार्य भी हैं, जिसमें जल विधुत परियोजनाएं और सड़कें शामिल हैं.
स्थिति यह है कि गढ़वाल में उत्तरकाशी जिले के हाईवे पर लैंडस्लाइड जोन तैयार हो चुके हैं, उधर टिहरी जिले के अंतर्गत चार धाम मार्ग क्षेत्र में भी बड़े लैंडस्लाइड जोन हैं. उधर कुमाऊं में भी चंपावत और अल्मोड़ा में खतरनाक लैंडस्लाइड जोन सक्रिय हैं. अब जरूरत है, पिछले कुछ समय में किए गए अध्ययनों के बाद उस रिपोर्ट के आधार पर कार्य योजना तैयार करने की, ताकि लैंडस्लाइड जोन से इंसानी खतरे को कम किया जा सके और इसके ट्रीटमेंट के जरिए प्रदेश के लिए विकल्प भी तलाशे जा सकें.
उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव रंजीत सिन्हा ने बताया कि साल 2016 में उत्तराखंड पूरे प्रदेश का डिजास्टर रिस्क असेसमेंट किया गया था, ये उत्तराखंड डिजास्टर रिकवरी प्रोजेक्ट है जो वर्ल्ड बैंक द्वारा फंड किया गया है. इसकी फाइनल रिपोर्ट 2018 में बनाई गई, इसमें कई महत्वपूर्ण चीजें की गई हैं, रिपोर्ट में उसको पिन पॉइंट किया गया है.
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