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Mana Village: भारत-चीन बॉर्डर के आखिरी गांव माणा में कोरोना के बाद दोबारा लौटी रौनक, गांव से जुड़ी है ये खास मान्यता
Uttarakhand News: भारत-चीन सीमा के आखिरी गांव माणा की अपनी धार्मिक ऐतिहासिक और पौराणिक महत्ता है जहां कोरोना काल के बाद दोबारा रौनक लौटी है
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Chamoli News: भारत-चीन सीमा (India-China Boarder) के आखिरी गांव माणा (Mana Village) में कोरोना काल के बाद दोबारा रौनक लौट चुकी है. इस हैरिटेज गांव की अपनी धार्मिक ऐतिहासिक और पौराणिक महत्ता है. इस गांव में भगवान वेद व्यास और गणेश जी ने भागवत महापुराण, सहित 18 पुराणों की रचना की. इस गांव में भारत की भरपूर संस्कृति के दर्शन होते है. साथ ही इसी गांव के पास मां सरस्वती गंगा निकलती है. यही पर सरस्वती गंगा को श्राप मिला था.
कोरोना काल के बाद लौटी रौनक
लगातार कोरोना के 2 साल बाद इस साल माणा गांव में चहल पहल दिखाई दे रही है. कोरोना काल के बाद माणा में खासी रौनक देखने को मिल रही है, जिससे यहां के लोग भी काफी खुश दिखाई दे रहे है. स्थानीय लोग यात्रियों को अपने सामान बेचकर अपनी आजीविका चला रहे है. यात्री इनके ऊनी कपड़ो से लेकर रिंगाल के उत्पाद तक सहित अन्य चीजें बड़े उत्साह से खरीद रहे है. माणा गांव भारत चीन सीमा का आखिरी गांव है. साथ ही यहां पर भारत की अंतिम चाय की दुकान भी है. माणा गांव घूमने वाले लोग भीमपुल के पास भारत की अंतिम चाय की दुकान में चाय की चुस्कियां भी ले सकते हैं. यहां का वातावरण आने वाले लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है.
घूमने के लिए दूर-दूर से आते हैं सैलानी
माणा गांव में ही गणेश गुफा, व्यास गुफा, सरस्वती नदी का उद्गम होता है. भीमपुल से यात्री इस गांव की धार्मिक, पौराणिक ऐतिहासिक और संस्कृति की दर्शन कर प्रफुल्ल हो जाते है. इसलिए यहां यात्री आकर अपने आप को सौभाग्यशाली समझता है. माणा गांव में भोटिया जनजाति के लोग रहते हैं, यहां के लोग स्थानीय उत्पाद से बनाए हुए ऊनी वस्त्रों, रिंगाल से बनी विभिन्न आकर्षक वस्तुओ,सहित दर्जनों उत्पाद को यात्रियों को बेचते हैं जिससे गांव के लोगों को खासी आमदनी भी होती है. माणा गांव के लोग 6 महीने के ऋतु प्रवास पर ग्रीष्मकालीन इलाकों में चले जाते हैं लेकिन जब गांव के लोग गांव में पहुंचते हैं तो एक बार फिर से रौनक लौट आती है. इन्हीं रौनक को देखने के लिए दूर-दूर से यहां सैलानी पहुंचते हैं और गांव के लोगों से मिलते है.
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