Mulayam Singh Yadav Death: उत्तराखंड बनने के विरोधी नहीं पक्षधर थे मुलायम सिंह यादव, 1989 में खुद भेजा था पहला प्रस्ताव
Uttarakhand News: सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने उत्तराखंड को अलग से राज्य बनाने का पहला प्रस्ताव रखा था. आइए आपको बताते हैं कि मुलायम सिंह का उत्तराखंड के साथ क्या रिश्ता रहा है.
Uttarakhand News: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के संरक्षक और उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) अब नहीं रहे. उनका राजनीतिक इतिहास बेहद विराट रहा है. मुलायम सिंह का उत्तराखंड (Uttarakhand) से भी बड़ा नाता रहा है. इतना ही नहीं मुलायम सिंह के साथ उत्तराखंड से कई और भी ऐसी बातें जुड़ी हैं जिसे आम लोग नहीं जानते. आइये आपको बताते है कि मुलायम सिंह का उत्तराखंड के साथ क्या रिश्ता रहा है.
उत्तराखंड राज्य बनाने का प्रस्ताव रखा
उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने और गैरसैंण को राजधानी बनाने का पहला प्रस्ताव और ड्राफ्ट तैयार कर केंद्र को भेजने वाले पहले नेता मुलायम सिंह यादव ही थे. मुलायम सिंह यादव जब पहली बार साल 1989 में जनता दल से मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने पर्वतीय क्षेत्र के लोगों से वादा किया कि वो अलग राज्य बनाएंगे. उसी दौरान मुलायम सिंह ने अलग राज्य बनाने का ड्राफ्ट केंद्र सरकार को भेजा था. राज्य गठन के लिए कौशिक कमेटी बनाई. उसके बाद मुलायम सिंह यादव जब दूसरी बार 1993 में समाजवादी पार्टी से मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में कौशिक कमेटी बनाने का निर्णय लिया, जिसका अध्यक्ष तत्कालीन कैबिनेट मंत्री रमाशंकर कौशिक को बनाया गया. इसी कमेटी ने उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने की रिपोर्ट तैयार की. कमेटी की कई बैठक पर्वतीय क्षेत्र में हुई कमेटी के गठन के बाद पहली बैठक लखनऊ, दूसरी बैठक अल्मोड़ा में तो तीसरी बैठक पौड़ी में की गई. जबकि, चौथी बैठक काशीपुर और पांचवी बैठक फिर से लखनऊ में की गई.
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कई दौर की बैठक के बाद कौशिक समिति ने उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने के लिए कई बिंदुओं पर मंथन किया. इस तरह से मुलायम सरकार की कौशिक समिति ने 10 महीने के भीतर अलग राज्य उत्तराखंड का 13 बिंदुओं का ड्राफ्ट तैयार किया. इसके अलावा विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए अलग राज्य बनने के बाद चकबंदी भू बंदोबस्त और पर्वतीय राज्यों के मॉडल के तर्ज पर उत्तराखंड राज्य के निर्माण की कल्पना की गई थी. उसी दौरान मुलायम सिंह यादव ने बतौर मुख्यमंत्री रहते हुए अगस्त 1994 में इस रिपोर्ट को उत्तर प्रदेश के दोनों सदनों से पास करवा कर केंद्र को भेज दिया था.
राजनीतिक ही नहीं, पारिवारिक भी हैं संबंध
इतना ही नहीं मुलायम सिंह के साथ उत्तराखंड से कई और भी ऐसी बातें जुड़ी हैं जिसे आम लोग नहीं जानते. मुलायम सिंह यादव चाहते थे कि अलग राज्य बनने के बाद राज्य को पर्वतीय नियमों के तहत आरक्षण मिले. इसमें मुलायम सिंह का यह मत था कि ये आरक्षण जाति आधार पर नहीं, बल्कि आर्थिक के आधार पर होना चाहिए. मुलायम सिंह का उत्तराखंड से राजनीतिक ही नहीं, पारिवारिक संबंध भी है. खुद मुलायम सिंह ये बात कहते थे कि उत्तराखंड का अगर कोई सही मायने में हितैषी है तो वो मुलायम सिंह ही है. मुलायम सिंह यादव की बड़ी बहू डिंपल यादव पौड़ी से हैं जो रावत परिवार की बेटी हैं. तो वहीं मुलायम सिंह यादव की दूसरी बहू अपर्णा यादव भी उत्तराखंड के पौड़ी से बिष्ट परिवार से आती हैं.
राजनीतिक दलों ने अपनी राजनीति चमकाने के लिए मुलायम सिंह यादव को 'खलनायक' बनाया. उत्तराखंड राज्य आंदोलन में मुलायम सिंह यादव की छवि को इतना नकारात्मक किया गया कि यहां के लोगों में मुलायम सिंह की एक 'खलनायक' वाली तस्वीर बन गई. जानकर बताते हैं कि दस्तावेजों में देखा जाए तो उत्तराखंड राज्य आंदोलन की कई बड़ी किताबें हैं, जिनमें इस बात का साफ जिक्र किया गया है कि मुलायम सिंह यादव उत्तराखंड राज्य बनने के पक्षधर थे, न कि खिलाफ थे.
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