Uttarakhand News: उत्तराखंड के जंगलों में सिरदर्द बन चुकी लैंटाना घास अब मुनाफे का जरिया बनेगी. वन विभाग ने इस घास से रिन्यूएबल एनर्जी (नवीकरणीय ऊर्जा) तैयार करने का फैसला किया है. इस परियोजना को विभागीय स्तर पर मंजूरी मिल चुकी है और जल्द ही इसका पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा. यदि यह सफल रहता है, तो इसे प्रदेशभर में बड़े स्तर पर लागू किया जाएगा. इस योजना से जहां एक ओर जंगल लैंटाना के आतंक से मुक्त होंगे, वहीं दूसरी ओर प्रदेश को ऊर्जा उत्पादन का एक नया स्रोत मिलेगा.
लैंटाना घास उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि देश के कई राज्यों में जंगलों और वन्यजीवों के लिए बड़ी समस्या बन चुकी है. यह घास बड़ी तेजी से फैलकर अन्य वनस्पतियों को खत्म कर देती है, जिससे जैव विविधता को भारी नुकसान होता है. इसके कारण कई वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास भी प्रभावित हो रहे हैं. इसके नियंत्रण के लिए वन विभाग वर्षों से अभियान चला रहा है, लेकिन अब तक इसे पूरी तरह खत्म करने में सफलता नहीं मिली है.
ईंधन का नया स्रोत भी मिल गया
लैंटाना घास को नष्ट करने के लिए पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में पहले ही रिन्यूएबल एनर्जी तैयार करने का प्रयोग सफलतापूर्वक किया जा चुका है. वहां पांच साल पहले आईआईटी विशेषज्ञों की मदद से लैंटाना को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी. इस प्रयोग में लैंटाना को चीड़ की पत्तियों की तरह पाउडर में बदला गया और फिर इससे ईंधन ब्रिकेट्स तैयार किए गए. यह ब्रिकेट्स ऊर्जा उत्पादन के लिए उपयोग किए गए, जिससे दोहरा लाभ मिला – जंगल लैंटाना मुक्त हुए और ईंधन का नया स्रोत भी मिल गया.
उत्तराखंड में भी इसी तर्ज पर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लैंटाना से रिन्यूएबल एनर्जी तैयार करने की योजना बनाई गई है. प्रदेश सरकार ने इस दिशा में काम कर रही एक एजेंसी के साथ टाइअप करने का निर्णय लिया है. इस एजेंसी को लैंटाना हटाने और उसे ईंधन में बदलने की पूरी जिम्मेदारी दी जाएगी. खास बात यह है कि एजेंसी अपने खर्चे पर ही लैंटाना को जंगलों से हटाएगी और इससे ब्रिकेट्स बनाकर ऊर्जा तैयार करेगी. इससे सरकार का बजट बचेगा और लैंटाना से भी छुटकारा मिलेगा
वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि लैंटाना से रिन्यूएबल एनर्जी बनाने का प्रस्ताव विभाग के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा. अब तक सरकार लैंटाना को हटाने के लिए भारी भरकम बजट खर्च करती थी और बड़ी संख्या में कर्मचारियों की तैनाती करनी पड़ती थी. लेकिन इस नई तकनीक से विभाग को इस खर्चे से राहत मिलेगी. साथ ही लैंटाना से ईंधन उत्पादन होने से प्रदेश का रेवेन्यू मॉडल भी मजबूत होगा.
अब तक लैंटाना को जंगलों से हटाने के बाद जलाकर नष्ट किया जाता था, ताकि इसका प्रसार दूसरी जगह न हो. लेकिन जलाने से वातावरण में हानिकारक गैसें उत्सर्जित होती थीं, जिससे पर्यावरण को नुकसान होता था. नई तकनीक से लैंटाना का उपयोग ऊर्जा उत्पादन में होगा, जिससे पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा.
यदि पायलट प्रोजेक्ट सफल रहता है, तो इसे पूरे प्रदेश में बड़े स्तर पर लागू किया जाएगा. वन विभाग का मानना है कि यह योजना जंगलों को लैंटाना से मुक्त करने के लिए एक कारगर कदम साबित होगी. साथ ही यह ऊर्जा उत्पादन का एक नया स्रोत बनेगी, जिससे प्रदेश को आर्थिक लाभ भी होगा.
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उत्तराखंड में लैंटाना का तेजी से फैलाव वनस्पतियों और वन्यजीवों के लिए खतरा बनता जा रहा था. लेकिन अब यह योजना इस समस्या का स्थायी समाधान साबित हो सकती है. इसके तहत न केवल जंगलों को लैंटाना से मुक्त किया जाएगा, बल्कि इसे ऊर्जा उत्पादन में बदलकर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत किया जाएगा. वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि यदि यह परियोजना सफल रही, तो उत्तराखंड लैंटाना समस्या का स्थायी समाधान पाने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा.