Uttarakhand News: उत्तराखंड में हर साल वनाग्नि की घटनाओं से जंगल जल रहे हैं. पर्यावरण को भी इससे भारी नुकसान पहुंच रहा है. ऐसे में सरकार ने जंगलों को आग से बचाने के लिए कार्य योजना बनाई है. इसके अलावा पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए कार्य किया जायेगा. वनाग्नि से जंगलों को बचाने के लिए सरकार अपना वन योजना का संचालन करने जा रही है. इसके लिए विभागों और गांवों को सामुदायिक जिम्मेदारी सौंपी जाएगी. वनाग्नि वाले अति संवेदनशील स्थानों को चिन्हित कर वहां उचित इंतजाम किए जाएंगे. जंगलों में बरसाती जल संरक्षण के लिए मनरेगा में वृहद स्तर पर कार्य होंगे, जिससे वर्षभर नमी बनी रहे और आग का असर कम से कम हो.


वनाग्नी बन रही चिंता का कारण 
बता दें कि 64 फीसदी वन क्षेत्र वाले उत्तराखंड राज्य में बीते एक दशक से फायर सीजन में वनाग्नि की घटनाएं सबसे बड़ी चिंता का कारण बनी हुई हैं. वर्ष 2020 और 2021 में कोरोना काल के चलते जो जंगल फायर सीजन में भी 95 फीसदी सुरक्षित थे. वहीं इस फायर सीजन में आग का तांडव देखने को मिला है. स्थिति यह रही कि वनाग्नि की घटनाओं का एक महीने में ही दशकों पुराना रिकॉर्ड टूट गया. रुद्रप्रयाग जनपद में 120 से अधिक वनाग्नि की घटनाओं में 300 हेक्टयेर से अधिक वन क्षेत्रों में करोड़ों की वन संपदा जलकर नष्ट हो गई थी. इसके अलावा सिविल और  पंचायती जंगलों में भी आग का कहर रहा. अब, प्रदेश सरकार वनों को आग से बचाने के लिए अपना वन योजना शुरू करने जा रही है.


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बनाई जा रही यह योजना
इस योजना के तहत वन, राजस्व, पुलिस, कृषि, उद्यान सहित अन्य विभागों को वनों के संरक्षण की सामूहिक जिम्मेदारी दी जाएगी. जहां-जहां जो विभाग पौधारोपण करेगा, वहां के संरक्षण की पूरी जिम्मेदारी विभाग की होगी. साथ ही प्रत्येक माह रोपित पौधों की प्रगति रिपोर्ट भी तैयार करनी होगी. युवा और महिला मंगल दलों के साथ ही ग्राम पंचायतों, महिला समूहों को भी वनों के विकास में आगे लाया जाएगा. इसके अलावा, अत्यधिक वनाग्नि वाले क्षेत्रों को चिह्नित कर वहां बरसाती जल संरक्षण के लिए मनरेगा में ज्यादा से ज्यादा चालखाल बनाई जाएंगी. साथ ही जंगलों के ऊपरी क्षेत्रों में 4000 लीटर क्षमता के जल भंडारण टैंक भी निर्मित होंगे. जिससे वनाग्नि की घटना से कम से कम समय में काबू पाया जा सके. बता दें कि वर्ष 2019 में रुद्रप्रयाग जिले में एक करोड़ बरसाती जल का संरक्षण किया गया था. वहीं, 2021 में वन विभाग ने जंगलों में खालचाल, खंती, ताल बनाकर 95 लाख लीटर से अधिक बरसाती जल संरक्षित किया, जिससे कई प्राकृतिक जल स्रोतों को नया जीवन भी मिला. वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि वनाग्नि की घटनाओं को कम से कम करने और वनों के विकास के लिए सरकार अपना वन योजना शुरू करने जा रही है. इस योजना के तहत विभागों के साथ गांवों को वनों के संरक्षण की जिम्मेदारी दी जाएगी. जहां-जहां पौधरोपण होगा, उस क्षेत्र की जिम्मेदारी वहां के ग्रामीणों, विभाग और युवा व महिला मंगल दल की होगी.


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