Uttarakhand News: विकासखण्ड जखोली के थाती बड़मा में सैनिक स्कूल के निर्माण को लेकर ग्रामीण फिर से आंदोलन की राह पर हैं. ग्रामीणों ने स्थानीय विधायक भरत चौधरी के आश्वासन पर आंदोलन स्थगित कर दिया है, लेकिन विधानसभा के बजट सत्र में सैनिक स्कूल निर्माण पर चर्चा और बजट आवंटन नहीं होने पर ग्रामीणों ने उग्र आंदोलन करने की चेतावनी दी है. जिसमें राष्ट्रीय राजमार्ग जाम करने से लेकर विधायक और सांसद का विरोध और बहिष्कार आदि की बात कही गई हैं.


बैठक का किया गया आयोजन
सैनिक स्कूल निर्माण संघर्ष समिति के बैनर तले रविवार को दिग्धार में एक बड़ी बैठक का आयोजन किया गया. सुफाल सिंह रौथाण की अध्यक्षता में संपंन हुई बैठक में वक्ताओं ने कहा कि थाती बड़मा में सैनिक स्कूल निर्माण को लेकर अब तक की सरकारों ने ग्रामीणों को केवल बरगलाया है और झूठे आश्वासन देकर हर बार स्थानीय जनता को छला है लेकिन अब ग्रामीण आर पार की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं. वक्ताओं ने सैनिक स्कूल निर्माण संघर्ष समिति का पंजीकरण करवाने और समिति का विस्तार कर क्षेत्र में जन जागरूकता अभियान चलाने पर सहमति बनी. थाती बड़मा में सैनिक स्कूल निर्माण किए जाने के संबंध में अधिक से अधिक लोगों को जोड़कर क्रमबद्ध आन्दोलन चलाने का निर्णय लिया गया. यदि सैनिक स्कूल का निर्माण जल्द नहीं किया जाता है तो उग्र आंदोलन किए जाने की बात कही गई है.


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क्या कहा विधायक ने?
वहीं बैठक में उपस्थित रुद्रप्रयाग विधायक भरत सिंह चौधरी ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि सैनिक स्कूल थाती बड़मा में ही बनेगा. उन्होंने कहा कि विधानसभा के बजट सत्र में वे इस मामले को पूरी गंभीरता से उठायेंगे और उन्हें पूर्ण विश्वास है कि वे इसके लिए बजट में सरकार से धनराशि आवंटित करा लेंगे. वहीं संघर्ष समिति ने स्पष्ट किया कि यदि स्थानीय विधायक द्वारा विधानसभा के बजट सत्र में इस मुद्दे को नहीं उठाया जाता है और बजट आवंटित नहीं होता है तो स्थानीय विधायक का हर स्तर पर विरोध किया जायेगा. संघर्ष समिति की अगली बैठक तीन जुलाई को सिद्धसौड में बुलाई गई है. 


यह है पूरा मामला -
दो मंत्रियों के आपसी खींचतान से अधर में लटका प्रोजेक्ट, वर्ष 2012 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने अपने कद्दावर नेता डॉ हरक सिंह रावत को रुद्रप्रयाग विधान सभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया था. डॉ रावत ने जनता से वादा किया था कि उनके जीतने पर क्षेत्र में एक सैनिक स्कूल खोला जायेगा. विधान सभा चुनावों में जीत के बाद तथा सरकार में कृषि, चिकित्सा शिक्षा और सैनिक कल्याण विभाग में मंत्री बनने के बाद उन्होंने अपने जखोली भ्रमण के दौरान थाती बड़मा के दिग्धार में सैनिक स्कूल बनाये जाने की घोषणा की और केन्द्र से अनुमति मिलने की प्रत्याशा में इसके लिए मूलभूत सुविधायें विकसित करने के लिए 10 करोड़ रूपए भी अवमुक्त करा दिया. थाती बड़मा क्षेत्र की जनता ने इसका स्वागत करते हुए तत्काल एक हजार नाली भूमि निःशुल्क सैनिक स्कूल के लिए दान कर दी. तब सैनिक स्कूल के निर्माण और दायित्व को लेकर कांग्रेस सरकार में शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी और सैनिक कल्याण मंत्री डॉ हरक सिंह रावत की आपसी खींचतान से यह प्रोजेक्ट अधर में लटक गया. केन्द्र में बीजेपी सरकार बनते ही क्षेत्रीय सांसद भुवन चन्द्र खंडूड़ी ने भी इसके लिए कोशिश की और लगातार रक्षा मंत्रालय से पत्राचार किया और इसके लिए सहमति भी मिली. वर्ष 2016 में डॉ हरक सिंह रावत कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने पर मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इसके बजट पर विराम लगा दिया.


साल 2017 में प्रदेश में बीजेपी की प्रचंड बहुमत से सरकार बनने के बाद जखोली क्षेत्र की जनता को सैनिक स्कूल बनने की उम्मीद जगी, मगर अब तक इस पर कोई प्रगति नहीं हो पाई. वहीं बजट न मिलने से पूर्व में निर्माण कार्य करने वाली संस्था ने भी आधा-अधूरा कार्य कर अपना सामान समेट दिया. विगत पांच वर्षों में प्रदेश की बीजेपी सरकार भी सैनिक स्कूल निर्माण की बात तो करती रही, लेकिन धरातल पर कोई कार्य नहीं हो पाया. अभी हाल ही में केन्द्र सरकार ने देहरादून के एक प्राइवेट स्कूल को सैनिक स्कूल की मान्यता दिए जाने से थाती बड़मा के ग्रामीणों की उम्मीदें बिखर गई. ग्रामीण तब से भारी आक्रोश में हैं. हालांकि देहरादून वाले स्कूल पर अन्य आरोपों के चलते दी गई मान्यता रद्द होने से ग्रामीणों की उम्मीदें फिर से जाग गई है.


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