Uttarakhand News: पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए गिरीया गांव पहुंची. कल भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मन्दिर में विराजमान होगी तथा मंगलवार से भगवान मदमहेश्वर की शीतकालीन पूजा विधिवत शुरू होगी.


रविवार को ब्रह्म बेला पर मदमहेश्वर धाम के प्रधान पुजारी शिव शंकर लिंग ने राकेश्वरी मन्दिर रांसी में पंचाग पूजन के तहत भगवान मदमहेश्वर व मां राकेश्वरी का आह्वान कर आरती उतारी तथा निर्धारित समय पर भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली राकेश्वरी मन्दिर रांसी से गिरीया गांव के लिए रवाना हुई. भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के उनियाणा, राऊलैक, मनसूना, गिरीया गांव सहित विभिन्न यात्रा पड़ावों पर ग्रामीणों ने पुष्प अक्षत्रों से भव्य स्वागत किया तथा लाल-पीले वस्त्र अर्पित किये.


कल ऊखीमठ पहुंचेगी बाबा की डोली


वहीं, दूसरी ओर भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश से ऊखीमठ आगमन पर मंदिर समिति द्वारा ओंकारेश्वर मन्दिर को भव्य रूप से सजा दिया गया है. मंदिर समिति ने ओंकारेश्वर मन्दिर को 8 कुन्तल फूलों से भव्य रूप दिया गया है. सोमवार को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के ऊखीमठ आगमन को स्थानीय जनता में भारी उत्साह बना हुआ है तथा महिलाओं व प्रवासियों ने ऊखीमठ की ओर रुख कर दिया है.


उत्तराखंड में द्वितीय केदार मद्महेश्वर भगवान के कपाट शीतकाल के लिए शुक्रवार (18 नवंबर) सुबह 8 बजे विधि-विधान से बंद हो गये हैं.  कपाट बंद होने के बाद भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह डोली को मंदिर परिसर में लाया गया.  कार्याधिकारी आर सी तिवारी और मुख्य प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल ने बताया कि 21 नवंबर को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी. इस अवसर पर ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में मद्महेश्वर मेले का भी आयोजन होता है. मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डॉ हरीश गौड़ ने बताया कि इस साल साढ़े सात हजार श्रद्धालुओं ने भगवान मद्महेश्वर के दर्शन किए. इसमें कुछ विदेशी श्रद्धालु भी शामिल हैं.  


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