उत्तराखंड निकाय चुनाव आरक्षण पर विवाद, किसी को OBC से समस्या, तो किसी को सामान्य सीट से ऐतराज
Uttarakhand News: ऋषिकेश नगर निगम के 60 वार्डों से कुल 18 आपत्तियां दर्ज की गईं. इनमें से छह पक्षकार जिला मुख्यालय पहुंचे. आपत्तिकर्ताओं ने कहा नए आरक्षण नियमावली के तहत पुनर्मूल्यांकन होना चाहिए था.
Uttarakhand Nikay Chunav News: उत्तराखंड में निकाय चुनाव को लेकर वार्डों में आरक्षण के मुद्दे पर आपत्तियों की झड़ी लग गई है. प्रदेश के अलग-अलग नगर निगमों और नगर पंचायतों में आरक्षण व्यवस्था पर सवाल उठाए जा रहे हैं. रविवार को इन आपत्तियों पर प्रशासन की ओर से सुनवाई हुई. देहरादून और ऋषिकेश नगर निगम सहित अन्य नगर निकायों से आई आपत्तियों पर अधिकारियों ने पक्षकारों को सुना और आरक्षण के नियम समझाए.
देहरादून के नगर निगम में कुल 100 वार्ड हैं, जिनमें से 253 आपत्तियां दर्ज की गईं. इनमें विकासनगर और डोईवाला से भी आपत्तियां आईं, लेकिन सुनवाई के दौरान वहां से कोई नहीं पहुंचा. नगर निगम के अपर आयुक्त बीर सिंह बुदियाल ने मौके पर उपस्थित होकर आपत्तियों का जवाब दिया. सबसे प्रमुख आपत्ति वार्ड-86 बालावाला के दयाराम की थी. उनका कहना था कि उनके वार्ड में अनुसूचित जनजाति (एसटी) की आबादी को नकरौंदा क्षेत्र में बांट दिया गया है, जिससे उनके वार्ड की एसटी जनसंख्या में बदलाव हो गया. इसी तरह, वार्ड-12 मालसी के अनुराग ने दावा किया कि उनके वार्ड में 11.23 प्रतिशत अनुसूचित जाति (एससी) वोट होने के बावजूद उसे सामान्य श्रेणी में रखा गया है.
जिला मुख्यालय में ऋषिकेश नगर निगम से 18 आपत्तियां दर्ज की गई
ऋषिकेश नगर निगम के 60 वार्डों से कुल 18 आपत्तियां दर्ज की गईं. इनमें से छह पक्षकार जिला मुख्यालय पहुंचे. आपत्तिकर्ताओं का कहना था कि नए आरक्षण नियमावली के तहत पुनर्मूल्यांकन होना चाहिए था. चंद्रेश यादव ने वार्ड संख्या-1 का उदाहरण देते हुए कहा कि इसे लगातार महिलाओं के लिए आरक्षित रखा जा रहा है, जो रोटेशन के नियमों का उल्लंघन है.
हरबर्टपुर नगर पंचायत से नौ आपत्तियां आईं, जिनमें से पांच पक्षकार सुनवाई में पहुंचे. यहां ओबीसी, सामान्य और महिला आरक्षण को लेकर नाराजगी जाहिर की गई. मसूरी नगर पालिका से 11 आपत्तियां दर्ज हुईं, लेकिन सुनवाई में चार लोग ही उपस्थित रहे. महिमानंद ने वार्ड-3 का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इसे बार-बार अनुसूचित जाति (एससी) और एससी महिला के लिए आरक्षित किया गया है. उन्होंने चक्रानुसार सीट सामान्य श्रेणी में लाने की मांग की.
सेलाकुई नगर पंचायत से दो पक्षकारों ने ओबीसी के समर्थन और विरोध में कही बात
सेलाकुई नगर पंचायत में कुल 25 आपत्तियां दर्ज हुईं. इनमें से दो पक्षकार सुनवाई में पहुंचे. अनीस अहमद ने वार्ड संख्या-3 को ओबीसी महिला के लिए आरक्षित किए जाने पर आपत्ति जताई, क्योंकि वहां ओबीसी आबादी नाम मात्र है. दूसरी ओर, अरविंद शाह ने वार्ड-4 को ओबीसी महिला के लिए आरक्षित रखने का समर्थन करते हुए कहा कि वहां पर्याप्त जनसंख्या मौजूद है.
अधिकांश आपत्तियां आरक्षण प्रक्रिया में पारदर्शिता और रोटेशन नियमों के पालन को लेकर थीं. कई आपत्तिकर्ताओं ने कहा कि पिछले चुनावों में उनके वार्डों को महिला या अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रखा गया था, और अब भी उन्हें उसी श्रेणी में रखा गया है. लोगों का कहना है कि यह प्रक्रिया लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है और आरक्षण का पुनर्मूल्यांकन आवश्यक है.
आरक्षण का नियम तय मानक और आंकड़ो के आधार पर होता है
अधिकारियों ने पक्षकारों को समझाते हुए कहा कि आरक्षण नियम तय मानकों और आंकड़ों के आधार पर किया गया है. उन्होंने बताया कि हर वार्ड की जनसंख्या और वर्गीकरण के अनुसार आरक्षण का निर्धारण होता है. हालांकि, कई स्थानों पर लोगों को आरक्षण प्रक्रिया में साजिश की आशंका है. निकाय चुनावों में आरक्षण को लेकर विवाद बढ़ता दिख रहा है. आपत्तियों की सुनवाई के बाद प्रशासन को अब इन्हें हल करने की चुनौती का सामना करना पड़ेगा. हर वर्ग के प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखते हुए आरक्षण नियमों में सुधार की मांग तेज हो रही है. इससे स्पष्ट है कि आगामी निकाय चुनावों में आरक्षण का मुद्दा अहम भूमिका निभाएगा.
निकाय चुनावों में आरक्षण का उद्देश्य सभी वर्गों को समान अवसर देना है. लेकिन आरक्षण प्रक्रिया में कथित विसंगतियां जनता के बीच असंतोष का कारण बन रही हैं. प्रशासन को पारदर्शी प्रक्रिया अपनाते हुए जनता की चिंताओं का समाधान करना होगा, ताकि लोकतांत्रिक व्यवस्था को सुदृढ़ बनाया जा सके.
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