उत्तराखंड निकाय चुनाव: OBC आरक्षण लागू करने की प्रक्रिया शुरू, अध्यादेश लाने की तैयारी, जानें क्या होगा बदलाव
निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण लागू करने से उत्तराखंड में राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं. इससे ओबीसी समुदाय को अधिक राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिलेगा, जो राजनीति को नई दिशा देगा.
Uttarakhand Nikay Chunav: उत्तराखंड सरकार ने राज्य के नगर निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण लागू करने के लिए एक अहम कदम उठाया है. गुरुवार को एकल सदस्य समर्पित आयोग के अध्यक्ष, सेवानिवृत्त न्यायाधीश बीएस वर्मा ने अपनी अनुपूरक रिपोर्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंप दी. इस रिपोर्ट के आधार पर जल्द ही निकायों में ओबीसी आरक्षण लागू करने के लिए सरकार अध्यादेश लाने जा रही है. कैबिनेट की आगामी बैठक में इस पर प्रस्ताव लाया जाएगा.
इस रिपोर्ट के आने के बाद नगर निकायों में मेयर, नगर पालिका चेयरमैन और नगर पंचायत अध्यक्ष के पदों में बदलाव कर दिए गए हैं. पहले जहां नौ नगर निगमों का आरक्षण तय था, अब यह संख्या बढ़कर 11 हो गई है. इसमें अनुसूचित जाति के लिए एक पद, सामान्य वर्ग के लिए आठ और ओबीसी के लिए दो पद निर्धारित किए गए हैं. इससे पहले सामान्य वर्ग के छह पद थे. नगर पालिकाओं में चेयरमैन के पद भी 41 से बढ़ाकर 45 कर दिए गए हैं, जिनमें अनुसूचित जाति के छह पद यथावत रहेंगे.
आबादी के आधार पर हुआ आरक्षण
इस बदलाव का आधार 2011 की जनगणना और ओबीसी सर्वेक्षण से प्राप्त आंकड़े हैं. नए आंकड़ों के अनुसार, नगर निगमों में ओबीसी की आबादी 18.05 प्रतिशत से घटकर 17.52 प्रतिशत हो गई है, जबकि नगर पालिकाओं में ओबीसी की आबादी 28.10 प्रतिशत से बढ़कर 28.78 प्रतिशत हो गई है. नगर पंचायतों में ओबीसी की आबादी 38.97 प्रतिशत से घटकर 38.83 प्रतिशत रह गई है. इस नए जनगणना और सर्वेक्षण के आधार पर निकायों के पदों का आरक्षण तय किया गया है.
नगर पालिकाओं में सामान्य वर्ग के चेयरमैन पदों की संख्या 22 से बढ़ाकर 25 कर दी गई है, जबकि ओबीसी के पदों की संख्या 12 से बढ़कर 13 हो गई है. वहीं, नगर पंचायतों में चेयरमैन के 45 पदों में से सामान्य वर्ग के पदों की संख्या 23 से बढ़कर 24 हो गई है, जबकि ओबीसी के पदों की संख्या 16 से घटकर 15 हो गई है. इस प्रक्रिया से यह सुनिश्चित किया गया है कि ओबीसी आबादी के अनुपात में उन्हें उचित प्रतिनिधित्व मिल सके. इस अवसर पर शहरी विकास सचिव नितेश झा, सदस्य सचिव मनोज कुमार तिवारी और सुबोध बिजल्वाण भी उपस्थित थे.
केंद्र सरकार से समर्थन वापस ले लेंगे नीतीश कुमार? JPNIC विवाद के बीच अखिलेश यादव ने कर दी बड़ी अपील
आगामी चुनावों में होगा असर
निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण लागू करने से उत्तराखंड में राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं. इससे ओबीसी समुदाय को अधिक राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिलेगा, जो राज्य की सामाजिक और राजनीतिक स्थिति को नई दिशा देने में सक्षम हो सकता है. सरकार का यह कदम आगामी निकाय चुनावों में अहम भूमिका निभाएगा, जहां विभिन्न वर्गों के हितों को संतुलित करने की कोशिश की जा रही है.