उत्तराखंड: आजादी के 73 साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं इस गांव के लोग, ये है विकास के दावों की हकीकत
टिहरी गढ़वाल जिले के जौनपुर विकासखंड के खरक और मेलगढ़ गांव आज भी सरकारी उपेक्षा की मार झेल रहे हैं. ये दोनों गांव आजादी के 73 साल बाद भी अभी तक सड़क से वंचित हैं.
देहरादून: उत्तराखंड सरकार दावे कर रही है कि साढ़े तीन साल में कमाल का सड़कों का जाल प्रदेश में फैलाया गया है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रोड कनेक्टिविटी को सर्वाधिक प्राथमिकता दी है. लेकिन, सुदूरवर्ती क्षेत्रों को सड़क से जोड़ने का दावा करने वाली सरकार की हकीकत से रूबरू होना है तो जौनपुर विकासखंड के खरक और मेलगढ़ गांव चले आइए. ये दोनों गांव आजादी के 73 साल बाद भी अभी तक सड़क से वंचित हैं.
चुनाव का बहिष्कार करेंगे लोग वर्ष 2003 में 15 किमी लंबे सुमनक्यारी-बणगांव-काण्डी मोटर मार्ग को सरकार ने स्वीकृति प्रदान करते हुए सानिवि थत्यूड़ डिविजन द्वारा सड़क निर्माण के लिए टेंडर आमंत्रित किए थे. सुमनक्यारी-बणगांव-सुरांसू-खरक गांव तक के 12 किमी के लिए वित्तीय स्वीकृति भी मिल गई थी लेकिन इसके बावजूद आज तक सड़क खरक गांव तक नहीं पहुंच सकी है. ग्रामीणों ने कहा कि अगर सरकार सड़क निर्माण नहीं करवाती है तो वो 2022 के चुनाव का बहिष्कार करेंगे.
उपेक्षा की मार झेल रहे हैं गांव टिहरी गढ़वाल जिले के जौनपुर विकासखंड के खरक और मेलगढ़ गांव आज भी सरकारी उपेक्षा की मार झेल रहे हैं. जौनपुर की विशाल सिलवाड़ पट्टी के यही दोनों गांव हैं जो सड़क नहीं होने का खामियाजा भुगत रहे हैं. सुमनक्यारी से खरक गांव तक 12 किमी के सड़क मार्ग में पड़ने वाले ग्रामीणों के खेत-खलिहानों का मुआवजा लोक निर्माण विभाग द्वारा दे दिया गया था. खरक गांव तक टेंडर स्वीकृत होने के बावजूद वर्ष 2007 में सुरांसू गांव तक 10 किमी तक सड़क की कटिंग पूरी कर ली गई थी. खरक और सुरांसू गांव के बीच में कटिंग होने के बावजूद आगे सड़क निर्माण कार्य रोक दिया गया और 13 साल बाद सड़क एक इंच भी आगे नहीं बढ़ पाई. इस बारे में लोक निर्माण विभाग थत्यूड़ डिविजन की तरफ से भी संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया है.
लोगों को होती है परेशानी खरक गांव के ग्रामीणों का कहना है कि गांव तक सड़क नहीं होने से फसल समय पर बाजार नहीं पहुंच पाती है और आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. बीमारी की स्थिति में परेशानियों का सामना करना पड़ता है जिससे कभी-कभी तो मरीज की जान पर भी बन आती है. मेलगढ गांव की भौगोलिक स्थिति तो और भी ज्यादा विकट है. अगर कोई सरकारी कर्मचारी या अधिकारी एक बार मेलगढ़ चला गया तो वहीं से ही इस गांव में दोबारा न आने की कसम खाकर वापिस आता है. मेलगढ़ के लिए काण्डी मल्ली और तल्ली गांव के बीच से सड़क की कटिंग लगभग दो किमी हो चुकी है लेकिन वहां पर भी कई सालों से काम रूका हुआ है.
अधिकारियों के निर्देश के बाद भी कुछ नहीं हुआ खरक गांव के ही सूरत सिंह खरकाई ने बताया कि 2018 में टिहरी की तत्कालीन जिलाधिकारी सोनिका से कैम्पटी में आयोजित चैपाल कार्यक्रम में सड़क निर्माण की गुहार लगाई थी. जिलाधिकारी की तरफ से इस संबंध में तत्काल कार्रवाई करने को आदेश भी किया गया था. अगस्त 2020 में जिला पंचायत सदस्य कविता रौंछेला ने इस बाबत जिलाधिकारी टिहरी मंगलेश घिल्डियाल को आवेदन पत्र दिया था और जिलाधिकारी ने भी लोक निर्माण विभाग थत्यूड़ को तत्काल कार्रवाई करने का आदेश किया गया था लेकिन बावजूद इसके आज तक इस पर कोई सकारात्मक कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है. अधिशाषी अभियंता थत्यूड़ डिविजन रजनीश सैनी का कहना है कि उन्होंने सुरांसू से खरक तक के दो किमी सड़क निर्माण के लिए दोबारा एस्टीमेट बनाकर शासन को भेजा है.
पंचायत चुनाव का किया था बहिष्कार बता दें कि 2019 पंचायत चुनाव से पूर्व खरक और मेलगढ़ के ग्रामीणों ने गांव तक सड़क नहीं पहुंचने पर पंचायत चुनाव के बहिष्कार का निर्णय लिया था. लेकिन, सरकार के प्रतिनिधियों ने सड़क पहुंचाने का आश्वासन दिया जिसके बाद ग्रामीण पंचायत चुनाव में भाग लेने पर राजी हो गए थे. लेकिन, आज पंचायत चुनाव को बीते हुए भी सवा साल का समय बीत चुका है और स्थिति जस की तस है.
सरकार की कथनी और करनी में अंतर है आम आदमी पार्टी के नेता मुलायम सिंह पहाड़ी ने कहा कि बीजेपी सरकार की कथनी और करनी में बहुत अंतर है. आजादी के 73 साल के बाद भी प्रदेश के कई गांव सड़क-बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. उन्होंने कहा कि गांव से लगाातर पलायन हो रहा है लेकिन सीएम त्रिवेन्द्र रावत को इससे कुछ लेना देना नहीं है. 'आप' नेता ने सीएम त्रिवेन्द सिंह रावत को देहरादून से योजनाएं ना बनाकर गांव में पहुंचकर वहां की हालत देखने का आग्रह किया.
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